ज्योतिष अंधविश्वास नहीं बल्कि सदियों का विश्वास: प्रदीप बत्रा, उत्तराखंड ज्योतिष परिषद की ओर से ज्योतिष महाकुंभ का आयोजन

रुड़की । उत्तराखंड ज्योतिष परिषद की ओर से ज्योतिष महाकुंभ हुआ। ज्योतिषाचार्यों ने विभिन्न विषयों पर विचार रखे। कार्यक्रम संयोजक आचार्य रमेश सेमवाल ने कहा भारतीय संस्कृति और वेदों को घर-घर पहुंचाना है। इससे युवा संस्कारित होंगे।फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं। जोधपुर से आए रमेश दिवेदी ने कहा कि युवा ज्योतिष में और शोध करें। शोध करके ही ज्योतिष का वैज्ञानिक पक्ष प्रकट होगा। शहर विधायक प्रदीप बत्रा ने कार्यक्रम के संयोजक ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश सेमवाल को बधाई और शुभकामनाएं दी । इस अवसर पर उन्होंने कहा है कि ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, सदियों का विश्वास है, प्रामाणिक विज्ञान और सशक्त शास्त्र है। समूची ज्योतिष विद्या पर प्रश्न चिन्ह भारतीय संस्कृति पर प्रश्नचिन्ह है, नारद, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, पराशर, गर्गाचार्य, लोमश ऋषि, निबंकाचार्य, पृथुयश, कल्याण वर्मा, लल्लाचार्य, भास्कराचार्य (प्रथम), ब्रह्मगुप्त, श्रीधराचार्य, मुंजाल यह सिर्फ नाम नहीं है ज्योतिष शास्त्र में इनका अपना गौरवमयी यशस्वी योगदान रहा है। कार्यक्रम में विधायक देशराज कर्णवाल, मेयर गौरव गोयल, संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ प्रेमचंद शास्त्री, एचएस रावत, स्वामी अद्वैतानंद, डॉ राजेश ओझा, डॉ. लेखराज शर्मा, राघवेंद्र, डॉ. ललित पंत, रजनीश शास्त्री, लोकेश शास्त्री, शीतल शर्मा, हेमा शुक्ला, अनिल वत्स आदि मौजूद रहे।

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