उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर में अब तक हुई 3767 लोगों की मौत, 230529 लोग हुए पॉजिटिव

देहरादून । कोरोना वायरस की दूसरी लहर में उत्तराखण्ड में अब तक 3767 लोगों की मृत्यु हुई है 230529 लोग पॉजिटिव हुए हैं। 120951 लोग होम आइसोलेशन में कोरोना पाॅजिटिव रहे हैं। कई लोगों के नजदीकी नाते रिश्तेदार बिछड़ गये और कई बच्चे अनाथ हो गये। कई बच्चों के पिछले दो साल से रेगुलर स्कूल की जगह ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं। रेगुलर आर्थिक गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है। देश में 70 लाख लोग अब तक बेरोजगार हो चुके हैं। उत्तराखण्ड में 1.18 लाख लोग अपना काम धन्धा छोड़कर अपने गाँव लौट आये हैं।
कोरोना के साथ ब्लैक फंगस का संक्रमण भी तेजी से हो रहा है। ऐसे में हर व्यक्ति को यह लग रहा है कि उसे भी कोरोना हो सकता है, उसकी मृत्यु हो सकती है, बच्चों एवं माता पिता को भी हो सकता है और किसी की भी मृत्यु हो सकती है। ऐसे में उसे हर समय अनिश्चितता व भय सता रहा है। कई लोगों में तनाव व अवसाद के लक्षण दिखाई देने लगे हैं।
ऐसे में कई लोगों को मानसिक स्वास्थ्य एवं परामर्श की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। इस आवश्यकता को महसूस करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तराखण्ड सरकार ने जनहित में डायल-104 हैल्पलाइन नं0 जारी किया है। इसमें 100 से अधिक NIMHANS से प्रशिक्षित परामर्शदाता (काउंसलर) 24X7, रोस्टरवार ड्यूटी लगाकर टेलीकान्फ्रेंसिंग के माध्यम से परामर्श (काउंस्लिंग) दे रहे हैं। मानसिक रूप से अस्वस्थ रोगियों को एम्स ऋषिकेश के जाने-माने मनोचिकित्सक डा0 राजीव गुप्ता के नेतृत्व में जरूरतमंद रोगियों का साइकेट्री में इलाज कराया जा रहा है।
मानसिक स्वास्थ्य परामर्श (काउंस्लिंग) हेतु 104 हेल्पलाइन में बीएसएनएल के सहयोग से साफ्टवेयर विकसित किया गया है। रोजाना करीब 25 लोगों के कॉल 104 हेल्पलाइन नं0 पर प्राप्त हो रही हैं। अब तक 1154 लोगों को दूरभाष कॉल पर मानसिक स्वास्थ्य हेतु परामर्श (काउंस्लिंग) प्रदान किया गया है। जहाँ कोरोना की प्रथम लहर में 41011 व्यक्तियों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य हेतु 104 हेल्पलाइन नं0 के माध्यम से परामर्श (काउंस्लिंग) प्राप्त किया गया, उसके साथ ही स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा 2899 विजिट भी किये गये।
उसी पैटर्न पर अभी हमारे परामर्शदाता (काउंसलर) होम आइसोलेशन में जो कोविड पॉजिटिव हैं तथा जो गम्भीर इलाज से गुजर रहे हैं एवं जो कोरोना से पार पा चुके हैं, ऐसे समस्त जनों को हमारे परामर्शदाता (काउंसलर) काॅल कर मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी परामर्श (काउंस्लिंग) प्रदान कर रहे हैं।
जो लोग मानसिक रूप से अधिक अस्वस्थ हैं, उन्हें एम्स ऋषिकेश साइकेट्री अनुभाग में रेफर किया जा रहा है तथा जो सामान्य रूप से तनाव, अवसाद, भय, अनिद्रा, भूख न लगना, इत्यादि से ग्रस्त हैं, उन्हें प्रशिक्षित परामर्शदाताओं (काउंसलर) द्वारा 104 हेल्पलाइन के माध्यम से टेलीकान्फ्रेंसिंग द्वारा परामर्श (काउंस्लिंग) दिया जा रहा है।
हर सप्ताह देश के नामांकित मनोचिकित्सक, काउंसलर, मोटिवेशनल, स्पिरिचुवल वक्ताओं द्वारा आॅनलाइन वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस सम्बन्ध में जन-जागृति की जा रही है। हर शनिवार को 05 बजे देश के जाने-माने एैक्सपर्ट के साथ डी0आई0जी0 देहरादून/नोडल आॅफिसर मानसिक स्वास्थ (मैन्टल हैल्थ) डा0 निलेश आनन्द भरने और जाने-माने साईकोलाॅजिस्ट डा0 राकेश क्रिपलानी वार्तालाप करेंगे जिसका जूम लिंक https://us02web.zoom.us/j/5321017875?pwd=YnEzK3VubHUrQU1uQkpOM0RBZzlrUT09 तथा व्हाट्स एैप न0 9412080554 एवं टैलिग्राम न0 9412080703। “मनोसारथी” के उत्घाटित कार्यक्रम में दिनांक 15 मई 2021 को हुए ऑनलाइन वेबिनार में 524 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जिसमें डा0 निलेश आनन्द भरने डी0आई0जी0 देहरादून, स्टेट नोडल ऑफिसर मानसिक स्वास्थ (मैन्टल हैल्थ), डा0 फरिदुज़फर ऑफिसर इंचार्ज नैशनल हैल्थ मिशन, डा0 एस0एल0 वाया निदेशक राष्ट्र रक्षा विश्वविद्यालय (आर0आर0यू0) गुजरात और डा0 राकेश क्रिपलानी मनोवैज्ञानिक (साईकोलॉजिस्ट) ने बड़ी सहजता से कोरोना तथा उससे जुड़े हुऐ मानसिक समस्या तथा निवारण का उल्लेख किया। कार्यक्रम का संचालन देहरादून की मनोवैज्ञानिक (साईकोलॉजिस्ट) उपासना ने बड़ी नियोजकता के साथ प्रस्तुत किया।
क्या करें
 अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करें।
 पौष्टिक आहार का सेवन करें।
 नियमित नींद लें।
 मनोरंजक गतिविधियों में समय बितायें।
 किताबें पढ़ें, संगीत सुनें।
 नियमित व्यायाम एवं योग करें।
 पारिवारिक सदस्यों के साथ नियमित बातचीत करते रहें।
क्या न करें
 लगातार टीवी चैनल में खबरें न देखें।
 नकारात्मकता से दूर रहें।
 धूम्रपान एवं मदिरा का सेवन न करें।
 अनावश्यक घर से बाहर न घूमें।
 अनावश्यक भीड़ में न जायें।
 किसी भी चीज के बारे में जरूरत से अधिक भय, तनाव न लें।
लक्षण
1-नींद न आना,
2-भूख न लगना
3-किसी भी बारे में लगातार दिन रात वही ख्याल दिमाग में आते रहना।
4-सॉसें व धड़कनें तेज चलना, पसीना आना
5-किसी भी कार्य में ध्यान व मन न लगना
6-जो कार्य कर रहे हैं, उस पर फोकस एवं ध्यान न लगना
7-चिड़चिड़ापन, भय एवं तनाव
8-परिवार के सदस्यों के साथ ठीक से बात न करना

बचाव
1-तत्काल अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करें।
2-अपने मन की बात उनसे साझा करें।
3-अपने मित्रों के साथ बात करें।
4-अच्छी किताबें पढ़ें एवं ज्ञानवर्द्धक वीडियो देखें।
5-घर के आसपास खुले में टहलें
6-छत पर धूप लें, व्यायाम करें।
7-अधिक परेशानी हो तो 104 नं0 पर कॉल कर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं (काउंस्लरों) से परामार्श (काउंस्लिंग) प्राप्त करें।

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