राम मंदिर निर्माण के लिए हरिद्वार के कारसेवकों निभाई अग्रणी भूमिका, भाजपा जिला मंत्री अनामिका शर्मा ने कहा पांच अगस्त को नजर आएगा दीपावली जैसा नजारा

हरिद्वार । आज अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हरिद्वार से गंगाजल और मिट्टी भेजी जा रही है आज का दिन महत्वपूर्ण है उन संतों के लिए जिन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए अग्रणी भूमिका निभाई कारसेवकों के बलिदान को व्यर्थ ना जाने दिया कहीं ना कहीं प्रतीक है धार्मिक आस्था का प्राचीन संस्कृति का हरिद्वार का इसमें कहीं ना कहीं अहम योगदान रहा है ,भारत की प्राचीन नगरियों में से एक अयोध्या को हिन्दू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका में शामिल किया गया हैअयोध्या में अब भगवान राम का मंदिर बनने की राह प्रशस्त हो गई है। लेकिन शायद कम ही लोगों को पता होगा कि इस राम मंदिर निर्माण की भूमिका हरिद्वार में बनी थी। यहां आठ मार्गदर्शक मंडलों की बैठक हुई थी। यहां तक कि छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे तक कार सेवा की तिथि भी हरिद्वार में ही तय हुई। पंतद्वीप के मैदान से इसकी बाकायदा घोषणा की गई थी। विश्व हिंदू परिषद की गतिविधियां धर्मनगरी में वर्ष 1983 से बढ़नी शुरू हुई थीं। तब गंगा रक्षा के लिए गंगा एकात्मता यात्रा हरकी पैड़ी से प्रारंभ हुई थी। इसके बाद हरिद्वार अयोध्या में विवादित ढांचे को लेकर विहिप की बैठकों का केंद्र बन गया। इस कार्य में तेजी 1992 की जनवरी में परमार्थ आश्रम में हुई राम जन्मभूमि न्यास की गोपनीय बैठक से आनी शुरु हुई।उसी साल मई में विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक हरिद्वार के निष्काम सेवा ट्रस्ट में हुई। इस बैठक में संतों ने दोनों हाथ उठाकर फैसला लिया कि छह दिसंबर को अयोध्या में कारसेवा की जाए। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है जो समस्त भारत के लिए हर्षोल्लास का विषय है।

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