देहरादून में नाबालिग के दुष्कर्म के आरोपी को 20 साल की सजा, एक लाख रुपये देने का आदेश

देहरादून । दून के बालिका निकेतन से भागी किशोरी के साथ दुष्कर्म के दोषी को स्पेशल पोक्सो जज अर्चना सागर की कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोषी पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इसके अलावा पीड़िता को एक लाख रुपये प्रतिकर के रूप में देने के लिए प्रशासन को भी निर्देशित किया है। किशोरी मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली है और दून पुलिस ने उसे बालिका निकेतन में दाखिल करवाया था। शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा ने बताया कि 24 जुलाई 2020 को केदारपुरम स्थित बालिका निकेतन में रह रही 17 वर्षीय किशोरी लापता हो गई थी। बालिका निकेतन के प्रबंधन ने नेहरू कालोनी थाने में किशोरी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस ने शिकायत पर किशोरी के हुलिए के आधार पर तलाश शुरू की तो किशोरी हर्रावाला क्षेत्र से बरामद हो गई। किशोरी ने पूछताछ में बताया कि वह मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली है और कुछ समय पूर्व वह अपने एक परिचित के साथ देहरादून आई थी। परिचित उसे यहां छोड़कर चला गया और वह दर-दर भटक रही थी। जिस पर पुलिस ने उसे बालिका निकेतन में भर्ती करा दिया था। किशोरी ने बताया कि उसे बालिका निकेतन में ठीक नहीं लगा तो वह चुपचाप वहां से निकल गई। किशोरी के अनुसार, वह रेलवे ट्रैक के किनारे चलते-चलते हर्रावाला रेलवे स्टेशन की तरफ पहुंच गई। वहां उसे एक युवक मिला, जिसने अपना नाम प्रीतम बताया। युवक उसे बहला-फुसलाकर स्टेशन के पास जंगल में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। किशोरी रोने लगी तो आरोपित ने उसे अपना फोन नंबर दिया और कहा कि उसे किसी भी चीज की जरूरत होगी तो वह फोन कर सकती है। आरोपित ने उसे 200 रुपये भी दिए। इसके बाद किशोरी ने कुछ देर बाद युवक को फोन किया तो उसने किसी भी प्रकार की मदद करने से मना कर दिया। पुलिस ने फोन नंबर के आधार पर आरोपित युवक को गिरफ्तार कर लिया। पोक्सो अधिनियम और दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने प्रीतम निवासी केशवपुरी बस्ती के विरुद्ध 18 सितंबर को चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल सात गवाह पेश किए गए थे। बयानों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपित को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की सजा सुनाई है।

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