उत्तराखंड: नमाज के दौरान मौलाना से मारपीट के बाद भीड़ ने कोतवाली को घेरा, दीवार फांद अंदर आए लोग, पुलिस ने ऐसे काबू किया बवाल

हल्द्वानी ।   तरावीह की नमाज के दौरान मौलाना से हुई अभद्रता और मारपीट के विरोध में सोमवार की रात हल्द्वानी में बवाल हो गया। सोमवार रात को इंटरनेट मीडिया पर मारपीट की खबर वायरल होने के बाद मामला और गंभीर हो गया।

मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कोतवाली का घेराव कर दिया। पुलिस के विरुद्ध नारेबाजी की गई और फिर लोगों की भीड़ नैनीताल हाईवे पर जाम लगाकर बैठ गई। लोगों को कोतवाली के अंदर घुसने से रोकने के लिए फोर्स ने गेट को चारों ओर से घेर लिया। पुलिस के विरुद्ध लोगों ने मुर्दाबाद के नारे लगाए। कोतवाली की दीवार फांदकर परिसर में लोग घुस गए। बवाल के दौरान आइजी कुमाऊं डा. नीलेश आनंद भरणे नैनीताल में थे। सूचना मिलते ही वह नैनीताल से 30 मिनट में हल्द्वानी पहुंचे और आरोपितों पर कार्रवाई का भरोसा दिया। हल्द्वानी में एक बार फिर सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई। पुलिस ने रात में मुकदमा दर्ज किया व लोगों को समझाया। लोग शांत नहीं होते तो शहर का शांत माहौल और बिगड़ सकता था। रात ढाई बजे कोतवाली में जमे रहे एसएसपी पंकज भट्ट इस पूरे प्रकरण को लेकर गंभीर दिखे। वह लोगों को मनाने के लिए कोतवाली में बैठे रहे।
मौलानाओं के साथ ही क्षेत्र के साभ्रांत लोगों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि शहर का माहौल किसी भी दशा में बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। माहौल बिगाड़ने वालों पर कार्रवाई होगी। देर रात कोतवाली में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ बेकाबू हो गई। भीड़ ने पुलिस कर्मियों के कब्जे से एक युवक को छुड़ाकर पीट दिया। कोतवाली के अंदर घुसकर भी माहौल खराब करने की कोशिश की गई। बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठियां फटकारनी पड़ी।
दरअसल, हंगामा रात साढ़े नौ बजे भोटियापड़ाव क्षेत्र में शुरू हो गया था, लेकिन पुलिस ने इस मामले को हल्के में लिया। खुफिया विभाग हंगामे का रात 10 बजे जैसे ही इमाम से मारपीट की खबर इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कोतवाली पहुंचना शुरू हो गया। गली-मोहल्लों से निकलकर लोग कोतवाली में पहुंच गए और आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग कर नारेबाजी की। पुलिस ने लोगों को खदेड़ा तो बवाल की स्थिति बन गई। पुलिस के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगने शुरू हो गए। रात साढ़े 12 बजे लोग वापस घरों को गए। अंदेशा पहले ही जता चुका था। बकायदा इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी गई थी। इसके बावजूद कोई सतर्क नहीं हुआ।

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