शहीदों के गुणों को युवा करें आत्मसात: श्रीमहन्त लखन गिरि, समापन अवसर पर किया गया स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मानित

हरिद्वार । एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज में दिनांक 12 मार्च से प्रारम्भ हुए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का आज समापन हुआ। कार्य़क्रम का आयोजन माँ सरस्वती वन्दना व द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया, कार्यक्रम का उद्घाटन काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री महन्त लखन गिरि जी महाराज द्वारा किया गया। सर्वप्रथम काॅलेज में निर्मित शौर्य दीवार पर देश के वीर शहीदों को नमन करते हुए प्रतीकात्मक रूप में नमक नमक उठा कर नमक तोड़ो आन्दोलन को जीवन्त किया। कालेज के छात्र गौरव बंसल ने महात्मा गांधी के रूप में अपनी प्रस्तुति दी।इस अवसर पर काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री महन्त लखन गिरि जी महाराज द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को शाॅल व पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका अभिनन्दन किया गया। कालेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महन्त लखन गिरि जी महाराज को शाॅल भेंटकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया गया। इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. डोलीराम जी, स्व. मास्टर करतार सिंह जी, स्व. वैध दिनेश चन्द्र जी, स्व. गोपाल बिष्ट के पुत्र क्रमशः बालकृष्ण, मुकेश त्यागी, राजेश शर्मा व सतेन्द्र सिंह बिष्ट जी को अंगवस्त्र एवं पुष्प गुच्छ भेंट कर कालेज प्रबंधन ने सम्मानित किया ।
काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अभिनन्दन करते हुए उनके बारे में संक्षिप्त में बताया। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. वैध दिनेश चन्द्र जब वे गुरूकुल महाविद्यालय के नौवी कक्षा के छात्र थे, उस समय चांद किरवा शारदा के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई में सम्मिलित हुए तथा उन्हें गुलबर्गा कर्नाटक में गिरफ्तार किया गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. गोपाल सिंह बिष्ट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 1934 में लांसनायक पद पर भर्ती हुए थे लेकिन स्वतंत्रता आन्दोलन की भावना के चलते नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज में सम्मिलित हुए, और 1945 में आप को गिरफ्तार किया गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. डोलीराम जी 22 वर्ष की आयु में 1942 में हरिद्वार मुख्य डाकघर पर तिरंगा लहराते हुए गिरफ्तार हुए। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. मास्टर करतार सिंह ने गांधी जी के असहयोग आन्दोलनों मेंं भाग लेने वाले इस देशभक्त ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध युवावस्था से ही आवाज उठाना प्रारम्भ कर दिया था। भारत छोड़ो आन्दोलन में 1942 से 1944 के दौरान वे जेल में रहे। वे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अच्छे साथियों में से थे। वे जीवनभर समाज सेवा और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों को एकजुट करने और उनके उत्थान के लिए संलग्न रहे। वह 1958 में भारत सोवियत सांस्कृतिक संघ तथा 1979 में अखिल भारतीय शांन्ति एवं एकजुटता संगठन हरिद्वार के संस्थापकों में से थे। इस अवसर पर काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री महन्त लखन गिरि जी महाराज ने कहा कि कालेज परिसर प्रतीकात्मक रूप में दांडी मार्च का गवाह बन गया है, जिसने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे बड़े संघर्ष की मजबूत नींव रखी थी। दांडी मार्च 12 मार्च से 06 अप्रैल 1930 तक चला था, इस आन्दोलन ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए पूरे भारत को एकजुट कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य युवाओं को आजादी के महत्व एवं बलिदानियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना है, ताकि युवा उनके गुणों को आत्मसात कर सके। काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि हमने देश का नमक खाया है ।नमक श्रमिकों के पसीने , ईमानदारी तथा समानता का द्योतक है। नमक को भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक माना जाता था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। महात्मा गांधी ने देश के इस दर्द को महसूस किया और नमक सत्याग्रह के रूप में लोगों की नब्ज को समझा।
कार्यक्रम का सफल संचालन विनय थपलियाल, विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान द्वारा किया गया। इस अवसर पर डाॅ. मन मोहन गुप्ता, डाॅ. सरस्वती पाठक, डाॅ. तेजवीर सिंह तोमर, डाॅ. नलिनी जैन, डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, डॉ सुषमा नयाल,डाॅ. मनोज कुमार सोही, डाॅ. शिवकुमार चौहान, श्रीमती रिंकल गोयल, डाॅ. रिचा मिनोचा, डाॅ. विजय शर्मा, डाॅ. पदमावती तनेजा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. लता शर्मा, दिव्यांश शर्मा, डाॅ. रजनी सिंघल, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, अंकित अग्रवाल, डाॅ. सुगन्धा वर्मा, डाॅ. निविन्धया शर्मा, स्वाति चोपड़ा, मोहन चन्द्र पाण्डेय, राजकुमार, अशोक कुमार सहित काॅलेज के अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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