जड़ी-बूटी दिवस के रुप में मनाया पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज का जन्मदिन, वक्ताओं ने कहा आचार्य बालकृष्ण का जीवन हम सबकी प्रेरणा

हरिद्वार । पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज का जन्मोत्सव ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में वैदिक गुरुकुलम् के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ यजुर्वेद एवं सामवेद परायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ हुआ। इस अवसर पर स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने पौधा रोपण किया। स्वामी रामदेव ने आचार्य बालकृष्ण को जन्मदिवस की शुभकमनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि आचार्य बालकृष्ण का जीवन हम सबकी प्रेरणा है। उनका जन्मदिवस पूर्ण पुरुषार्थ व परमार्थ का प्रतीक है।उन्होंने कहा कि अभी तक लगभग 70 प्रामाणिक ग्रन्थों का प्रकाशन आचार्य बालकृष्ण के दिशानिर्देशन में किया जा चुका है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जल्द ही आचार्य बालकृष्ण का जीवन चरित्र लोकार्पित किया जाएगा। आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि जन्मदिन तो मात्र बहाना है, हमें तो इस दिन अपने सेवा कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करना होता है। उन्होंने कहा कि हमने जड़ी-बूटी रोपण को एक संकल्प के रूप में लिया है। हमारे निमित्त से यदि जड़ी-बूटियों का संरक्षण हो रहा है तो यह हमारे लिए गौरव की बात है। कोरोना काल में संगठन के मुख्य केन्द्रीय प्रभारीगण के दिशानिर्देशन में उत्तराखण्ड में ही करीब 1 लाख गिलोय रोपित किया जा चुका है। इसके लिए उन्होंने सभी संगठनों व पतंजलि योग समितियों के सदस्यों का ध्न्यवाद ज्ञापित किया। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि गिलोय कोरोना संक्रमण से बचाव में अतिलाभकारी है तथा कोरोनिल कोरोना के प्रिवेंशन तथा उसके मेनेजमेंट में महत्वपूर्ण औषधि है। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण द्वारा संरक्षित प्राचीन पाण्डुलिपियों पर आधरित 10 ग्रन्थों का विमोचन भी किया गया। जिनमें 4 ग्रन्थ अंग्रेजी भाषा में अजीर्णामृतमजरी, लघु निघण्टु, अष्टांग निघण्टु तथा सौश्रुत निघण्टु हैं। इनके अतिरिक्त 6 ग्रन्थ हिन्दी भाषा में कुमारामृतम्, हंसराज निदानम्, बलि प्रथा- पूजा या हिंसा, सन्ध्ति प्रकाश तथा वेदों की शिक्षाएँ का भी विमोचन किया गया। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इनमें से अधिकांश ग्रन्थ अप्रकाशित थे। जिन्हें पतंजलि के माध्यम से पहली बार प्रकाशित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सिद्धसार निघण्टु की पाण्डुलिपियाँ जर्मनी से लाई गई हैं। सौश्रुत निघण्टु में प्राचीन औषधीय गुणों का वर्णन है। कुमारमृतम् ग्रन्थ बाल रोगों से संबंधित ग्रन्थ है तो वहीं संधित प्रकाश में 17 छन्द हैं जिनमें अचार बनाने की सुंदर विधियाँ हैं। ऋषि दयानंद की प्रेरणा से वेदों की शिक्षाएँ ग्रन्थ प्रकाशित किया गया है।इन ग्रन्थों के प्रकाशन में आचार्य विजयपाल प्रचेता, कविराज डाॅ.मनोहर लाल आर्य, डाॅ.सविता व उनकी टीम, डाॅ.राजेश मिश्रा, आचार्य महेशानन्द आदि का विशेष सहयोग रहा है। कार्यक्रम में आचार्य प्रद्युम्न महाराज, परमार्थ निकेतन अध्यक्ष महंत चिदानंद मुनि, माता गुलाब देवी, पद्मसेन आर्य, डाॅ.यशदेव शास्त्री, बहन ऋतम्भरा, रामभरत, साध्वी देवप्रिया, ललित मोहन, डाॅ.महावीर, अंशुल, पारुल, प्रवीण पुनिया, अजय आर्य, डाॅ.जयदीप आर्य, राकेश, स्वामी परमार्थ देव, स्वामी ईशदेव, स्वामी आर्षदेव, स्वामी हरिदेव, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देवमयि, साध्वी देवप्रिति आदि ने आचार्य बालकृष्ण को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ दी।

पर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे पर फॉलो करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *