राकेश परिवार की बड़ी उपलब्धि सत्ता और विपक्ष दोनों ही अपने पास, अगले पूरे 5 साल भी राकेश परिवार पर ही केंद्रित रहेगी भगवानपुर की सियासत, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी इसी परिवार के समर्थकों का रहेगा दबदबा
भगवानपुर । सत्ता और विपक्ष दोनों ही राकेश परिवार के पास है। जिसके चलते अगले 5 साल भी भगवानपुर की सियासत राकेश परिवार पर ही केंद्रित रहेगी। हालांकि चुनाव से पूर्व भगवानपुर क्षेत्र के कई नेताओं ने राकेश परिवार को इस बार सत्ता और विपक्ष दोनों से ही महरूम रखने की कोशिश की । कई राजनीतिक पासे फेंके गए। लेकिन कोई भी राजनीतिक पासा फिट नहीं बैठा। नतीजा यह निकला कि सत्ता भी राकेश परिवार के पास ही रह गई और विपक्ष भी। यानी कि ममता राकेश विधायक बन गई और उनके देवर सुबोध राकेश विपक्ष के नेता। अब माना जा रहा है कि अगले 5 साल भी भगवानपुर की सियासत राकेश परिवार पर ही केंद्रित रहेगी। अगले चुनाव में जाकर सियासत कोई नया करवट ले सकती है । इस बीच भगवानपुर कि सियासत में कोई बदलाव आने की संभावना नजर नहीं आ रहे हैं। क्योंकि वर्ष 2023 में जो नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव होने हैं उसके चुनाव परिणाम भी राकेश परिवार ही तय करने जा रहा है। यानी कि नगर पंचायत अध्यक्ष का कांग्रेस प्रत्याशी वही होगा । जिसे विधायक ममता राकेश चाहेंगी। जबकि बसपा का प्रत्याशी वही होगा जिस पर सुबोध राकेश की सहमति होगी। क्योंकि सुबोध राकेश ने साढे 40000 वोट प्राप्त कर भगवानपुर में अन्य नेताओं से अपना स्थान काफी ऊंचा बना लिया है। यदि ब्लॉक की राजनीति में कोई उठापटक होगी तो उसमें भी कांग्रेस की विधायक बनी ममता राकेश और विपक्ष के नेता बने सुबोध राकेश ही केंद्र बिंदु रहेंगे। बहरहाल सत्ता और विपक्ष दोनों ही राकेश परिवार के हाथो में जाना राकेश परिवार की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही हैं। वैसे तो वर्ष 2012 में दिवंगत मंत्री सुरेंद्र राकेश ने बसपा से चुनाव जीतने के बाद से ही सत्ता और विपक्ष दोनों को ही अपने हाथों में चली आ रही है । उससे पहले भी वह जब बसपा के विधायक थे तो भी सुरेंद्र राकेश ने डॉ रमेश पोखरियाल से इतने नजदीकी संबंध बना लिए थे कि सत्ता और विपक्ष दोनों ही उनके हाथों में रहे। लेकिन अब जिस तरह से राकेश परिवार में बड़ी उठापटक चल रही है और दिवंगत मंत्री सुरेंद्र राकेश जैसी समझ वाला नेता इस परिवार में नहीं था तो कहा जा रहा था कि इस बार सत्ता और विपक्ष दोनों से ही राकेश परिवार महरूम रह जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं राकेश परिवार से अरसे से जुड़े फारुख प्रधान का कहना है कि इस परिवार में वही तो खासियत है जो कि भगवानपुर क्षेत्र की जनता ने अधिकतर वोट इसी परिवार को दिया है । उनका कहना है कि राजनीतिक तौर पर इस परिवार का कोई मुकाबला क्षेत्र में नहीं है । जनता के काम भी यही परिवार कराता है और पंचायत व ब्लॉक स्तर पर नए नेता भी इसी परिवार के सहयोग से आगे बढ़ते हैं । तो ऐसे में कौन-सी आश्चर्यजनक बात है कि सत्ता और विपक्ष दोनों ही इस परिवार पर रह गए। फारुक प्रधान का कहना है कि इस चुनाव में राकेश परिवार और अधिक मजबूत होकर उभरा है। भाजपा का चुनाव में कहीं अता पता नहीं लगा।बसपा नेता कुलवीर सिंह का भी कहना है कि राकेश परिवार से क्षेत्र की जनता का बड़ा जुड़ा हुआ है इसीलिए पिछली बार सुबोध राकेश भाजपा से लड़े तो 42500 वोट लिए बसपा का कहीं अता-पता नहीं था। इस बार वह बसपा से लड़े तो 40000 वोट लिए भाजपा का कहीं अता-पता नहीं रहा।भगवानपुर की सियासत में सत्ता भी राकेश परिवार के हाथ में है और विपक्ष भी। बड़बोले और कंधे पर हाथ रखकर राजनीति करने वालों कि राकेश परिवार के सामने कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है। इसीलिए मतदान के दौरान भाजपा का अधिकतर वोट बसपा प्रत्याशी सुबोध राकेश और कांग्रेस प्रत्याशी ममता राकेश के पक्ष में गया। लंबे चौड़े दावे करने वाले भाजपा नेता कहीं नहीं दिखे। इसीलिए भाजपा प्रत्याशी मास्टर सत्यपाल यह चुनाव भी बुरी तरह हार गए।
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