तीरथ को कमान सौंपकर भाजपा हाईकमान ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया, हाईकमान ने गुटबाजी और विवादों को दरकिनार कर शांत व सादगीपसंद और ईमानदार छवि वाले चेहरे को सौंपी मुख्यमंत्री की कुर्सी

देहरादून। एक बार फिर भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद के चयन में राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। भाजपा हाईकमान ने गुटबाजी और विवादों को दरकिनार कर शांत व सादगीपसंद और ईमानदार छवि वाले चेहरे तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की पसंद बने तीरथ सिंह रावत की छवि जनता से जुड़े नेता की रही है। वह राज्य आंदोलनकारी भी रहे हैं। निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ विधायकों के साथ ही पुराने भाजपाइयों की नाराजगी दूर करने के साथ ही जनता में साफ सुथरी छवि वाले नेता की तलाश भाजपा हाईकमान को थी। साथ ही जातीय संतुलन साधने के अलावा गुटबाजी पर भी अंकुश लगाना जरूरी था। जिन चेहरों को लेकर चर्चा हो रही थी, उसमें शामिल सभी किसी ना किसी गुट में शामिल रहे या किसी का अपना गुट था। कार्यकर्ता भी गुटबाजी में उलझे थे। संभावित नामों में से यदि कोई मुख्यमंत्री बनाया जाता तो दूसरे गुट के नाराज होने का खतरा था। भविष्य में गुटबाजी के बढ़ने से 2022 की चुनौती बड़ी होने का अंदेशा था। इन परिस्थितियों को देखते हुए हाईकमान ने गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत पर दांव खेला। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की विदाई के बाद बढ़ रहे सियासी माहौल ने भाजपा हाईकमान को चिंता में डाल दिया था। भाजपा के साथ ही संघ व संघ के अनुषांगिक संगठनों को भी नाराज नहीं करना था। इन परिस्थितियों के आंकलन के बाद तीरथ के नाम को हरी झंडी मिल गई। जानकारी मिली है कि रात तक त्रिवेंद्र सिंह रावत कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत पर ही दांव लगा रहे थे । लेकिन जब उन्हें लगा कि जूनियरटी के हिसाब से डॉ धन सिंह रावत अन्य दावेदारों के मुकाबले कमजोर पड़ रहे हैं तो उन्होंने पार्टी हाईकमान का रुख भांपते हुए आज सुबह जब विधायक दल की बैठक हुई तो मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत का नाम पेश कर दिया। जैसे ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीरथ सिंह रावत का नाम पेश किया तो सभी विधायक सकते में रह गए । क्योंकि कभी दोनों नेता एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं। जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के शिष्य के रूप में और तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के शिष्य के रूप में आमने-सामने आ गए थे । जिसमें बाजी तब तीरथ सिंह रावत के हाथ लगी थी। इसीलिए सभी मान कर चल रहे थे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत का नाम तो पेश करने कर ही नहीं सकते। लेकिन रात को अचानक घूमे राजनीतिक घटनाक्रम में दोनों नेताओं के नजदीकियां बढ़ी और कुछ लोगों ने मध्यस्था कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को तीरथ सिंह रावत का नाम पेश करने के लिए तैयार कर लिया । त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी भनक सुबह तक अपने करीबी लोगों को भी नहीं लगने दी। पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ,राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ,पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के समर्थक तो अचानक बदले इस घटनाक्रम पर आज पूरे दिन समीक्षा करते देखे गए और एक दूसरे से सवाल करते रहे कि ऐसा कैसे हो गया।

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