सुभाष वर्मा और बबलू राणा के बीच सीधा मुकाबला, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गरमाई हरिद्वार जिले की सियासत

हरिद्वार । जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में चौधरी सुभाष वर्मा और बबलू राणा के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। इसमें चौधरी सुभाष वर्मा के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की टीम खड़ी है तो बबलू राणा के साथ चौधरी राजेंद्र सिंह, हाजी मोहम्मद शहजाद और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन डटे हुए हैं। वहीं जिले के अन्य नेता अपने-अपने सियासी समीकरणों के तहत इन दोनों खेमों का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि दोनों खेमे के नेता एक तरफा जीत का दावा कर रहे हैं। लेकिन जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसमें मुकाबला काफी रोचक है। यह बात अलग है कि चुनाव पूरी तरह सत्ता के समीकरण से प्रभावित हो रहा है। आज नामांकन वापसी के बाद दोनों खेमे के नेताओं ने अपने-अपने जिला पंचायत सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा दिए हैं। जिसके चलते जो जिला पंचायत सदस्य अभी तक खुले घूम रहे थे । वह भी रात होने के साथ-साथ भूमिगत हो गए हैं। अब जो चुनाव लड़ रहे हैं या तो वह जिला पंचायत सदस्य मैदान में है या फिर चुनाव लड़ाने वाले जिला पंचायत सदस्य नजर आ रहे हैं। शेष जिला पंचायत सदस्य कहां गए । इसकी किसी को जानकारी नहीं है। फिलहाल 46 जिला पंचायत सदस्य है। इस बीच यदि किसी जिला पंचायत सदस्य की सदस्यता विभिन्न कारणों के चलते चली गई तो तब कुल संख्या घटकर कम हो जाएगी। लेकिन अभी तक की स्थिति में 24 जिला पंचायत सदस्यों वाला ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत रहा है। अब इतने ही जिला पंचायत सदस्य जुटा पाना दोनों ही खेमों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि जिला पंचायत सदस्य राजनीतिक दलों का जरा भी नियंत्रण नहीं मान रहे हैं। वह अपने आप को स्वतंत्र मानते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के उपचुनाव को लेकर निर्णय ले रहे हैं। हां इतना जरूर है कि कोई भी जिला पंचायत सदस्य किसी भी खेमे को समर्थन देने से पहले पूरा मोलभाव कर लेना चाहता है। वह फिलहाल ही कुछ प्राप्त करने तक सीमित नहीं रहना चाहता वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए अतिरिक्त बजट का भी ठोस आश्वासन चाहता है। जिसमें कुछ सदस्यों ने तो सरकार के नुमाइंदों से अपने अपने क्षेत्र के लिए पांच पांच करोड़ रुपए की डिमांड की है। विभिन्न मदों से आवंटित होने वाले इस बजट के लिए हां भी कर दी गई है। वही जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है उसी के साथ-साथ एक दूसरे के जिला पंचायत सदस्यों को तोड़ने के लिए भारी भरकम प्रयास हो रहे हैं। 16 दिसंबर को मतदान होना है और इसी दिन चुनाव परिणाम भी आ जाएंगे। लिहाजा, जिला प्रशासन जिला पंचायत अध्यक्ष उपचुनाव को लेकर हर स्तर पर सतर्कता बरत रहा है। जो बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी की ओर से अपनी बहाली और उप चुनाव की प्रक्रिया रोके जाने संबंधी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है । उस पर भी सुनवाई के लिए अब 17 दिसंबर की तारीख मुकर्रर हो गई है। यानी कि चुनाव टलने की कोई संभावना नहीं है। माना जा रहा है कि इसीलिए दोनों खेमों में आज पूरी ताकत पर चुनाव में लगा दी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बबलू राणा के साथ जिला पंचायत की सियासत के बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले चौधरी राजेंद्र सिंह, हाजी मोहम्मद शहजाद और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन है। जोकि बाजी पलटने की ताकत रखते हैं। लेकिन चौधरी सुभाष वर्मा के साथ भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कि वह टीम है जो कि चुनाव परिणाम अपने पक्ष में आने से पहले थमने वाली नहीं है। जिस कारण मुकाबला दिनोंदिन कड़ा होता जा रहा है। हालांकि चुनाव में तनावपूर्ण जैसी कोई बात नहीं है। लेकिन दिग्गजों के बीच टकराव को देखते हुए पुलिस भी चौकसी बरत रही हैं। इस बीच जिले के सियासतकारों की निगाह केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक पर भी लगी है। जिला पंचायत सदस्यों में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के अमन त्यागी खास समर्थक है। लेकिन शहरी विकास मंत्री का कोई जिला पंचायत सदस्य खुले तौर पर तो समर्थित नहीं हैं पर उनके काफी सदस्यों से राजनीतिक रिश्ते है। इस चुनाव में पूर्व विधायक अमरीश कुमार ,पूर्व चेयरमैन चौधरी सुरेंद्र सिंह के अलावा भाजपा नेता सुबोध राकेश भी काफी सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे हैं। जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन चौधरी प्रदीप चौधरी और इकबालपुर गन्ना विकास समिति के प्रशासक सुशील चौधरी का सुभाष वर्मा को खुला समर्थन है। अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है। लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चुनाव परिणामों पर सत्ता पक्ष का असर जरूर दिखाई देगा।

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