मिट्टी के दीये हैं दीपावली की पहचान, ये हैं इस त्योहार की शान, युवा नेता अमित कुमार सैनी ने सभी से प्रदूषणमुक्त और ईको-फ्रेंडली दीपावली की अपील की, कहा प्रेम और सौहार्द के साथ सामाजिक बुराइयों के अलावा कोरोना जैसी महामारी से बचाव के लिए जागरूकता का संदेश दें सभी

रुड़की । युवा नेता एवं समाजसेवी अमित कुमार सैनी ने क्षेत्रवासियों को संदेश देते हुए कहा कि मिट्टी के दीये हैं दीपावली की पहचान, ये हैं इस त्योहार की शान। आईये हम मिलकर प्रदूषणमुक्त और ईको-फ्रेंडली दीपावली मनाएं। यह तब संभव होगा जब हम सब पटाखे फोड़ने से परहेज करेंगे। पटाखे फोड़ने से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण की बात करें तो एक्यूआइ पीएम 10 भिवानी का 468 तक पहुंच चुका है। इसलिए समय रहते संभलने की जरूरत है। हम विदेशों में बने सामान की खरीदारी से भी बचें। अपने ही शहर और गांव के बने मिट्टी के दीये और दूसरा सामान खरीदें। दिवाली ऐसी मनाएं जो प्रेम और सौहार्द के साथ सामाजिक बुराइयों के अलावा कोरोना जैसी महामारी से बचाव के लिए जागरूकता का संदेश दें। ऐसी दिवाली ही सही मायने में ईको फ्रेंडली दीपावली होगी। उन्होंने कहा इस बार हम तो दिवाली में इलेक्ट्रिक लाइट्स का प्रयोग करने के बजाय मिट्टी के दीयों से घर को रोशन करेंगे । इतना ही नहीं दूसरों को इसके लिए जागरूक भी करूंगा। मिट्टी के दीयों से न सिर्फ पर्यावरण का नुकसान होने के बचाव होगा, बल्कि मिट्टी के दियों का कारोबार करने वालों और छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद भी मिलेगी। मिट्टी के दीयों के प्रयोग से बिजली की भी बचत होगी। उन्होंने सभी क्षेत्रवासियों से अपील की है कि अधिक से अधिक मिट्टी के दीये जलाएं। और देश को मजबूत करें।

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