महिला पार्षदों के पतियों पर रहा नहीं गया और जा पहुंचे मंच पर, शपथ ग्रहण के दौरान ही पतियों ने दिखा दिया वही करेंगे राज
रुड़की । महिला पार्षदों के पतियों पर रहा नहीं गया और वह इतनी तेजी से लपक कर मंच पर जा बैठे कि कहीं बाद में उन्हें जगह ही ना मिल पाए। आज यह बात पूरी तरह साफ हो गई है कि महिला पार्षद नहीं बल्कि उनके पति ही राज करेंगे। यानी कि नगर निगम का कामकाज पति ही देखेंगे। भले ही नियमानुसार बोर्ड की बैठक हो या अन्य कार्यक्रम सभी में महिला पार्षदों को खुद ही उपस्थित रहना चाहिए। ऐसे मौके पर पतियों की जगह सभागार या मंच पर नहीं बल्कि पंडाल में होती है। लेकिन चाहे ब्लॉक हो या जिला पंचायत या फिर अन्य बोर्ड सभी में महिला प्रतिनिधियों को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वह हकदार है। सब जगह उनके पति ही उनके अधिकारों पर का हनन कर रहे हैं। आज के दृश्य को देखकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने सवाल भी उठाए और कहा है कि जब महिला निर्वाचित पार्षद है तो उन्हें ही मंच पर बैठना चाहिए न कि उनके पतियों को। पहले दिन ही कोई किसी तरह का हंगामे की स्थिति न बने ।इसलिए नगर निगम प्रशासन भी इस ओर काफी नरम रहा ।यहां तक की मुख्य नगर अधिकारी नूपुर वर्मा भी कुछ नहीं बोली। पर उन्होंने संकेत दिए हैं कि आगे जब बोर्ड की बैठक होगी तो पति बाहर ही बैठेंगे ।सभागार में महिला पार्षदों को ही जगह दी जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि आज बीटीगंज स्थित शपथ ग्रहण के समारोह के मंच पर पार्षद पति भी जा पहुंचे। जबकि मंच का संचालन करने वाले सहायक नगर आयुक्त बार-बार पार्षद पतियों को मंच से नीचे उतरने की गुजारिश करते रहे। रुड़की शहर की सरकार मंगलवार को शपथ लेने के बाद पूरी तरह अस्तित्व में आ गई। वर्तमान बोर्ड में 17 महिला पार्षद जीतकर पहुंची हैं। जबकि अधिकतर महिला पार्षदों के पति ही सक्रिय राजनीति में हैं। मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह में पार्षद पति भी शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे। लेकिन शपथ पूरी होते ही महिला पार्षदों के पति एवं परिजन मंच पर पहुंच गए। जबकि एसएनए ने किसी का नाम लिए बिना ही ऐसे सभी व्यक्तिओं को मंच से उतरने की हिदायत भी दी। आगामी बोर्ड बैठक में पार्षद पतियों के हस्तक्षेप को रोकने में निगम अधिकारी कितने कामयाब होते हैं यह देखना होगा। वैसे तो पूर्व के बोर्ड में भी महिला पार्षदों की जगह उनके पतियों व प्रतिनिधियों का ही बोलबाला रहा है। मेयर और अधिकारियों की कोशिश भी पतियों को ज्यादा खुश करने की रही है। ताकि बोर्ड का सुचारू रूप से संचालन होता रहे।