पांच दिवसीय वर्चुअल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने उत्साह के साथ लिया हिस्सा, डिपार्टमेंट ऑफ़ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी, आईआईटी रुड़की और अटल एकेडमी की संयुक्त पहल से आयोजित हुआ कार्यक्रम

रुड़की । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने एनर्जी सिस्टम के मॉडलिंग और सिमुलेशन पर पांच दिवसीय वर्चुअल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया, जिसमें देश भर के विभिन्न एआईसीटीई (AICTE) द्वारा मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों के 160 प्रतिनिधियों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। डिपार्टमेंट ऑफ़ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी, आईआईटी रुड़की और एआईसीटीई (AICTE) ट्रेनिंग एंड लर्निंग (अटल) एकेडमी की संयुक्त पहल से आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी में शोध के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ एनर्जी सिस्टम के मॉडलिंग और सिम्यलैशन के बारे में बताना था। ताकि, रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी के वृहत उपयोग से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़े और ‘एनर्जी स्वराज’ की प्रतिबद्धता को मजबूती मिले। कार्यशाला में आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, डिपार्टमेंट ऑफ़ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी (HRED), आईआईटी रुड़की के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके सिंघल के साथ एचआरईडी, आईआईटी रुड़की से वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर प्रो. आरपी सैनी और प्रो.अरुण कुमार और आईआईटी बॉम्बे से प्रो. रंगन बनर्जी की मौजूदगी रही। इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “रिन्यूएबल एनर्जी को अपनाना जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उत्पादन में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह स्थानीय रूप से उत्पन्न ऊर्जा की खपत को बेहतर बनाने में मदद करेगा जिससे, ऊर्जा आत्मनिर्भरता में सुधार होगा। कार्यक्रम ने डिजाइन, प्रोसेस इकोनॉमिक्स और लाइफ साइकिल असेसमेंट से लेकर प्रोसेस डेवलपमेंट के विभिन्न स्तरों पर मॉडलिंग और सिमुलेशन के लाभों को प्रस्तुत किया। इसके अलावा, बायोमास, सौर और हाइड्रो जैसे विभिन्न रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों पर चले सत्र ने फैकल्टी मेंबर्स को व्यापक अनुभव प्रदान किया। कार्यशाला में 160 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। आईआईटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ़ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके सिंघल ने कहा, “कोविड-19 महामारी ने पर्यावरणीय और सामाजिक निष्पक्षता को प्राप्त करने के लिए सस्टैनबिलिटी, सिक्योर और रिज़िल्यंट एनर्जी सिस्टम की आवश्यकता को रेखांकित किया है। रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन और निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह समय की मांग है कि प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ वर्कफोर्स को भी प्रशिक्षित किया जाए। कार्यशाला का प्रबंधन डिपार्टमेंट ऑफ़ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर रिदम सिंह और प्रो. प्रथम अरोड़ा ने किया।

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