विश्व हिंदू परिषद का पांच दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग प्रारम्भ, वर्चुअल बैठक के माध्यम से 26 से 31 मई तक चलेगा प्रशिक्षण वर्ग

हरिद्वार । विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु प्रतिवर्ष होने वाला परिषद प्रशिक्षण वर्ग इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण वर्चुअल बैठक के माध्यम से 26 से 30 मई तक आभासी रूप में आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण वर्ग के प्रारंभ में आचार पद्वति एवं एकल गीत के पश्चात विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री संगठन मिलिंद पंराड़े नें वर्ग पालक प्रदीप मिश्र प्रांत उपाध्यक्ष, प्रांत मंत्री डा.विपिन पाण्डेय, प्रांत सह संगठन मंत्री अजय, बौद्विक प्रमुख रनदीप पोखरिया प्रांत सहमंत्री की उपस्थिति में उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया गया। परिषद प्रशिक्षण वर्ग प्रतिदिन दो सत्रों बौद्धिक सत्र एवं चर्चा सत्र के रूप में संपन्न होगा। उद्घाटन सत्र में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मिलिंद पंराड़े ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक गुरुजी संसार के भिन्न भिन्न देशों में रह रहे हिन्दुओं का अपने धर्म और दर्शन से जीवन्त रिश्ता कैसे बना रह सकता है, के विषय में बेहद चिंतित थे। विदेशों में निवास करने वाले हिन्दू किस तरह अपनी परम्पराओं व धार्मिक, सांस्कृतिक जड़ों से कट रहें है। विदेशों में सैकड़ों वर्षों से बसे हुए हिन्दुओं का अपनी मातृभूमि भारत से सम्बन्ध टूट रहा है। हिन्दू संस्कार धीरे धीरे लुप्त हो रहे हैं। क्योंकि संस्कार सम्पन्न कराने वाले ब्राह्मण विदेशों में उपलब्ध नहीं हैं। यदि संस्कार पूर्णतः नष्ट हो गये। तो समाज निर्जीव ढ़ांचा मात्र रह जायेगा। हिन्दुओं के धर्मान्तरण की गम्भीर चुनौती उनके सामने थी। हिन्दू के अस्तित्व पर होने वाले प्रहारों का जवाब कैसे दिया जाए, ये विकट चिंतन का विषय था। उसी समय स्वामी चिन्मयानन्द के मन में भी हिन्दुओं के लिए एक विश्वव्यापी संगठन का विचार पल रहा था। उन्होंने एक वैश्विक हिन्दू सम्मेलन की आवश्यकता प्रतिपादित की थी। त्रिनिदाद के सांसद डा.शम्भूनाथ कपिल देव अपने देश में हिन्दुओं में संस्कारों के लुप्त होने से दुःखी थे। उनकी भारत मे श्री गुरुजी से भेंट हुई। इसी भेंट में विश्व हिन्दू परिषद का बीज पड़ गया। विहिप महामंत्री मिलिंद पंराड़े ने कहा कि श्री गुरुजी ने दादा आप्टे को इस महत्वपूर्ण कार्य में लगाया। देशभर में लगभग दस महीनों तक भ्रमण कर विद्वानों, सन्तों और सामाजिक महानुभाव के साथ कांची कामकोटि पीठ, शारदा पीठ के शंकराचार्य, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, सन्त तुकड़ो महाराज, चन्द्रशेखर शास्त्री, डा.सम्पूर्ण आनन्द, कुशक बकुला, बी.पी.सिन्हा, बाबू जगजीवनराम, जैनमुनि सुशील कुमार, ज्ञानी भूपेन्द्र सिंह, डा.हजारी प्रसाद द्विवेदी, डा.आचार्य विश्व बन्धु, नामधारी सद्गुरु जगजीत सिंह, प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, सीताराम राय, हनुमान प्रसाद पोद्दार, जुगल किशोर बिरला, गुरु योगीराज महाराज से दादा साहब की भेंटवार्ता हुई। इस देशव्यापी अभियान में दादा आप्टे ने भारत में लगभग छह सौ व्यक्तियों से तथा विदेशों के लगभग चालीस संस्थाओं एवं प्रबुद्ध व्यक्तियों से पत्र व्यवहार किया। भारत में लगभग दौ सौ विद्वानों और चिन्तकों से भेंट की और डेढ सौ लोगों को बैठक के लिए आमंत्रित किया। इसी परिश्रम के परिणामस्वरूप सन 1964 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन 29 अगस्त सन 1964 को सांदीपनी साधनालय, मुंबई, महाराष्ट्र में विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना हुई। पंराड़े ने कहा कि संपूर्ण दुनिया के हिंदू समाज को संगठित करके उसकी धार्मिक सामाजिक समस्याओं के निराकरण का कार्य विश्व हिंदू परिषद को सौंपा गया। सन 1966 में प्रथम, सन 1979 में द्वितीय तथा तृतीय हिंदू सम्मेलन प्रयाग के संगम तट पर हुआ।प्रथम सम्मेलन में पच्चीस हजार, द्वितीय सम्मेलन में एक लाख, तृतीय सम्मेलन में तीन लाख तीस हजार लाख प्रतिनिधि उपस्थित आये। प्रथम सम्मेलन में दस देशों के, द्वितीय सम्मेलन में बीस देशों के, तृतीय सम्मेलन में चालीस देशों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद ने सन 1984 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन किया, राम जानकी रथ यात्रा, एकात्मता यात्रा, गंगा यात्रा आदि के माध्यम से संपूर्ण भारत के तीन लाख पचास हजार गांव में श्रीराम जन्मभूमि का विषय पहुंचा। 4 अप्रैल सन 1991 को वोट क्लब दिल्ली पर विशाल हिंदू सम्मेलन आयोजित किया पच्चीस लाख की संख्या में हिंदू उक्त सम्मेलन में उपस्थित रहे। न्यायालय प्रक्रिया की लंबी लड़ाई के पश्चात उच्चतम न्यायालय जिसमें हिन्दू पक्ष विजयी हुआ। 5 अगस्त 2020 को श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान श्रीराम के भव्य दिव्य मंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ शिलान्यास संपन्न किया गया। 1996 में विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा बजरंगदल ने गौरक्षा का कार्य अपने हाथ में लिया। तब से लेकर आज तक पचास लाख से ज्यादा गोवंश की रक्षा कर चुके हैं। हिंदू विरोधी केंद्र सरकार ने रामसेतु तोड़ने का निर्णय लिया तो विश्व हिंदू परिषद ने संतों के आशीर्वाद और आदेश के बाद हिंदू समाज को साथ लेकर रामसेतु की रक्षा का आंदोलन किया। पहले भारत बंद और बाद में निर्णायक आंदोलन में दिल्ली में पैंतीस लाख हिंदुओं की उपस्थिति में हिंदू सम्मेलन हुआ। परिणाम स्वरुप रामसेतु का टूटना रुक गया और अब भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि रामसेतु कभी नहीं टूटेगा। विश्व हिंदू परिषद गौरक्षा, हिंदू बहन बेटी की सुरक्षा, संतो के सम्मान की रक्षा, मठ मंदिरों की रक्षा के अपने नियमित कार्य करते हुए हिंदू समाज के मान बिंदुओं की रक्षा के लिए सतत प्रयासरत है और संपूर्ण हिंदू समाज को एकता के सूत्र में बांधने के लिए लगातार कार्य कर रहा है। उत्तराखंड के परिषद प्रशिक्षण वर्ग में प्रांत, विभाग, जिला स्तर के लगभग 150 कार्यकर्ता प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें हैं।

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