कम लागत से कीजिए बेबी कॉर्न की खेती, आमदनी होगी दोगुनी, बुवाई का चल रहा है उपयुक्त समय

बेबी कॉर्न: कम इन्वेस्टमेंट में अच्छी इनकम के लिए खेती को जरिया बनाने वालों के लिए बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती भी एक अच्छा विकल्प हो सकती है। खास बात यह है कि दोनों की पैदावार को पूरे साल में 3 से 4 बार लिया जा सकता है। बड़ी-बड़ी रेस्टोरेंट चेन और होटलों में अच्छी-खासी डिमांड होने के चलते इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न के अलावा चारा भी प्रति एकड़ 100 क्विंटल निकल आता है। जो किसान चारे के लिए मक्का लगाते हैं, वे इन दोनों किस्मों को लगाकर अच्छी आमदन के साथ पशुओं के लिए चारा भी प्रर्याप्त मात्रा में ले सकते हैं। बिजाई से पहले प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी, 40 किलोग्राम पोटाश और दस किलोग्राम जिंक डाले।

हरे चारे के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है

यह मीठी और स्वादिष्ट एक विशेष प्रकार की मक्का है, जिसका दाना अधिक मीठा होता है। इसे सब्जी और अनेक तरह के पकवान जैसे- स्वीट कॉर्न केक, स्वीट कॉर्न क्रीम स्टाइल इत्यादि बनाने में भी प्रयोग किया जाता है| हरा भुट्टा तोड़ने के तुरंत बाद हरे पौधे को काटकर हरे चारे के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

स्वीट कॉर्न के बुवाई के समय मिट्टी का सर्वाधिक उपयुक्त तापमान 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट होता है। लाइन टू लाइन 60 सेंटी मीटर और पौधे से पौधे 25 सेंटीमीटर की दूरी पर होना चाहिए। अगस्त और सिंतबर में इसके लगाने का सही समय है। सर्दियों में शादियां शुरू हो जाती है, उस समय भाव भी अच्छा मिल जाता है। स्वीट कॉर्न प्रति एकड़ 60 क्विंटल निकल जाता है और चारा 100 क्विंटल निकलता है।

अभी है अच्छा समय- कैसे करें बेबी कॉर्न की खेती

बेबी कॉर्न मक्का की एक प्रजाति होती है। या यूं कहें कि यह मक्का का प्री-मैच्योर भुट्टा होता है। चौ.चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के रीजन सेंटर के हैड ने बताया कि भारत के अधिकतर हिस्सों में मक्का की बुवाई तीनों सीजन (सर्दी, गरमी और बरसात) में की जाती है।

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