हाईकोर्ट ने पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की, कहा मदन कौशिक पर आरोप राजनीति से प्रेरित हैं तो आपत्ति पेश करे सरकार
नैनीताल । हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है। राज्य सरकार ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए समय मांगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खण्डपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर 30 जून तक आपत्ति पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई 30 जून को होगी। देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि 2010 में हरिद्वार के तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने विधायक निधि से लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय के लिए पैसा आवंटित किया। पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन और बाद के कामों की फाइनल पेमेंट भी हो गई। मगर आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि विधायक निधि के नाम पर तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने बड़ा घोटाला किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया। विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट होती है। ऐसे में अधिशासी अभियंता और सीडीओ के द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण ही फाइनल रिपोर्ट लगाकर पेमेंट कर दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है। याची ने पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
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