सरकार ने जारी किए आईआईटी रूड़की के विशेषज्ञों द्वारा तैयार भारत में सर्वजन सुलभता के समावेशी दिशानिर्देश और मानक

रुड़की । आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने हाल में भारत में सर्वजन सुलभता के समावेशी दिशानिर्देश और मानक प्रकाशित और जारी किए। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों के नेतृत्व में आपसी तालमेल से कार्यरत एनआईयूए और सीपीडब्ल्यूडी की टीमों के गंभीर अथक प्रयास और भागीदारी से दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। ‘बैरियर फ्री’ दृष्टिकोण के बदले ‘यूनिवर्सल डिजाइन’ का दृष्टिकोण अपनाने के उद्देश्य से जारी इन दिशानिर्देशों की भारतीय संदर्भ में परिकल्पना की गई है। इनका उद्देश्य हर क्षेत्र में सुलभता और यूनिवर्सल डिजाइन का नैरेटिव को और पहले से तैयार परिवेश के हर तत्व को सामने लाना है। दिशानिर्देशों में पहले से तैयार परिवेश में विभिन्न आबादियों की शृंखला की विभिन्न जरूरतों की मैपिंग की गई है। इसमें लोगों की उम्र, लिंग, अक्षमता और अन्य सामाजिक संदर्भों का समावेश किया गया है। इस प्रोजेक्ट के प्रमुख अन्वेषक और सलाहकार आईआईटी-रुड़की में वास्तुकला और योजना विभाग के प्रोफेसर गौरव रहेजा हैं। उनके सहयोग के लिए प्रोजेक्ट की टीम के साथ-साथ एनआईयूए और सीपीडब्ल्यूडी की टीमें भी हैं। इन दिशानिर्देशों का लक्ष्य पहले से तैयार परिवेश और उसके परे भी सभी पहलुओं में सुलभता लाने की प्रक्रिया को संवेदनशील बनाना, आवश्यक मार्गदर्शन और सुविधा बढ़ाना है। इनका अभीष्ट सभी के समावेश का परिवेश तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके लिए यूनिवर्सल डिजाइन के दृष्टिकोण से अपंग लोगों, बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और अन्य सभी के लिए सुलभता बढ़ाने की दिशा में तत्परता से कदम उठाये जाएंगे। प्रमुख अन्वेषक और प्रोजेक्ट के सलाहकार आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर गौरव रहेजा ने बताया ‘‘नए दिशानिर्देश प्रगतिशील और समावेशी दृष्टिकोण से बड़ा कदम है जिससे भारत के बेहतर भविष्य के लिए सही परिवेश बनेंगे और सतत शहरी विकास होगा। इसके सभी प्रयासों में मानवीय विविधता के समावेश का विचार है। अपंग लोगों और उनकी जरूरतों समेत समस्त मानवीय विविधता पर ध्यान देने का लक्ष्य है जिससे यह सुनिश्चित होगा कि पहले से तैयार बुनियादी ढांचे में मानवाधिकारों का समावेश हो और इस प्रक्रिया में उम्र, लिंग, क्षमताओं या जीवन की अन्य सीमाएं बाधक नहीं बने। ये दिशानिर्देश विभिन्न वर्ग के लोगों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं ताकि वे अधिक सुलभतया जागरूक बनें और अंततः ये दिशानिर्देश सभी संभावित भागीदारों को शामिल कर सभी क्षेत्रों में निरंतर लागू किए जा सकें।

दिशानिर्देशों के मुख्य उद्देश्य:

  1. पहले से तैयार परिवेश के विभिन्न जनसंख्या समूहों के लिए सुलभता बढ़ाने और इनके प्रावधान करने के प्रति विविध भागीदारों को संवेदनशील बनाना
  2. सभी भागीदरांे के लिए यूनिवर्सल डिजाइन और ओरियंटेशन का दृष्टिकोण पेश करना जिसमें सभी के लिए समावेशी तैयार परिवेश हो।
  3. तैयार परिवेश के विशेष तत्वों के साथ उनकी सुलभता के बारे में अनुशंसा करना
  4. तैयार परिवेश में सुलभता के मूल्यांकन और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन। प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा ‘‘भारत के शहरी परिदृश्य में समावेश और सुलभता बढ़ाने में ये दिशानिर्देश महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं। नए दिशानिर्देश देश में सामाजिक समावेश के साथ बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करेंगे। इस राष्ट्रीय प्रयास में आईआईटी रूड़की की महत्वपूर्ण भूमिका से मैं बहुत प्रसन्न हूं।’’

ये दिशानिर्देश हमारे तैयार परिवेश में संपूर्णता के दृष्टिकोण से प्रेरित हैं जिसमें आवास, शिक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, सार्वजनिक स्थान की सेवाएं आदि सर्वसुलभ करने का लक्ष्य है। तैयार परिवेश के भागीदार – सरकारी विभाग, विकास प्राधिकरण, नगर निकाय, निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठन, कॉर्पाेरेट सभी इन दिशानिर्देशों का पालन करें यह आवश्यक होगा। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आर्किटेक्ट और प्लानर से लेकर इंजीनियर और सेवा प्रदाता तक सभी विभिन्न भागीदार तैयार परिवेश के प्रबंधन या निर्माण में बिना किसी रुकावट अपने-अपने एसओपी का एकीकरण करें। ये दिशानिर्देश विभिन्न संस्थानों सेे उभरते हुए आर्किटेक्ट, प्लानर, डिजाइनर और इंजीनियर सभी के लिए ज्ञानवर्धक होंगे और उन्हें संवेदनशील बनाएंगे ताकि वे ऐसे तैयार परिवेश बनाएं जिनमें सभी का समावेश हो।

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