27 सालों बाद ऐसा योग बन रहा है जब संत और गृहस्थ एक दिन जन्माष्टमी मनाएंगे: आचार्य राकेश शुक्ला
रुड़की । आईआईटी स्थित सरस्वती मंदिर के पुजारी आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि 27 सालों बाद ऐसा योग बन रहा है कि जब संत और गृहस्थ एक दिन जन्माष्टमी मनाएंगे। बताया कि इससे पहले 1994 में ऐसा संयोग बना था। आचार्य शुक्ल के अनुसार तिथियों व नक्षत्र के घटने-बढ़ने से कई बार दो दिन जन्माष्टमी मनायी जाती है। संत रात्रि व्यापिनी तिथि और गृहस्थ उदय व्यापिनी तिथि पर अष्टमी मनाते हैं। इस बार 29 अगस्त को अष्टमी तिथि रात करीब 11.25 बजे शुरू हो जाएगी। पौराणिक मान्यत के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद, कृष्ण अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र अर्द्धरात्रि में हुआ था। तीस अगस्त को यह पर्व दोनों परंपराओं के लिए शास्त्र सम्मत रहेगा। जिस साल अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र पड़ता है उसे जयंती योग कहते हैं।
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