उत्तराखंड में बागवानी, फूलों की खेती, पर्यटन एवं योग के लिए अपार संभावनाएं: डा.सुनील बत्रा

हरिद्वार । बदलते हुए परिवेश एवं कोरोना काल में प्रवासियों को प्रबन्धन के द्वारा अवसर में बदलने का एक सुनहरा अवसर है। पलायन की मार से जूझ रहा उत्तराखण्ड अब इन प्रवासी उत्तराखंडियों के पुनर्वास एवं संक्रमण से जूझते स्वास्थ्य के लिए उत्तम उपचार व्यवस्था तथा स्वरोजगार हेतु बागवानी, फूलों की खेती, पर्यटन, डेयरी, पशुपालन तथा योग शिक्षा के लिए इन प्रवासी शक्ति को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। क्योंकि इनके उत्थान एवं विकास की अपार सम्भावनायें यहाँ पर हैं। इनका समुचित विकास एवं उत्थान होने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में समृद्धि लाई जा सकेंगी और पलायन जो प्रदेश के लिए एक गम्भीर समस्या बनती जा रही थी। इन प्रवासी उत्तराखंडियों के पुनर्वास के द्वारा पलायन की समस्या को हल किया जा सकता है। प्रवासी उत्तराखंडियों के कौशल अनुभव का लाभ भी उत्तराखंड राज्य को प्राप्त हो सकता है, क्योंकि यह प्रवासी जिन राज्यों को छोड़ कर के आए हैं तथा जिन सेवाओं को यह वहां प्रदान कर रहे थे। उन्हीं सेवाओं का लाभ यहां यह अपने राज्य उत्तराखंड में प्रदान कर युवाओं के कौशल विकास में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अतः प्रवासी उत्तराखंडी चुनौती नहीं है। बल्कि यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम कोरोना काल में प्राप्त इस सुनहरे अवसर को उत्तराखंड की तकदीर बदलने में प्रयोग कर सकें।

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