बबलू राणा के नाम पर बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों की ना, कहा बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को ही लड़ाया जाए अध्यक्ष का चुनाव

रुड़की । बसपा जिला पंचायत सदस्यों ने बबलू राणा को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ाने से साफ इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि वह बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य को ही जिला पंचायत अध्यक्ष देखना चाहते हैं। उसके लिए वह पूरा जोर लगाएंगे और हर तरह का सहयोग देंगे। जानकारी मिली है कि बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी समर्थित जिला पंचायत सदस्यों से अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राय मांगी गई। इस बीच नाम रखा गया बबलू राणा का कि उन्हें ही क्यों न जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा दिया जाए। इस पर अधिकतर बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों ने कहा है कि बबलू राणा को चुनाव लड़ाने से तो अच्छा रहेगा भाजपा समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा को ही खुला समर्थन कर दिया जाए। उनका तर्क था कि बबलू राणा खानपुर के भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के करीबी हैं और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के यहां भी उनका आना-जाना है। मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर नरेंद्र सिंह कि वह रिश्तेदार भी है। बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों ने यह भी कहा है कि बबलू राणा आदि जिला पंचायत सदस्यों की शिकायत पर ही शासन ने सविता चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया है। ऐसे में बबलू राणा को कैसे समर्थन किया जा सकता है। कई मुस्लिम जिला पंचायत सदस्यों ने साफ कहा है कि बबलू राणा भी एक तरह से भाजपा समर्थित है। इसीलिए उन्हें अध्यक्ष पद के लिए समर्थन करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं रहेगा। एक दो जिला पंचायत सदस्य ने तो यहां तक कह दिया है कि बबलू राणा फिर से सीएम के यहां जा सकते हैं । वहीं पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत हरिद्वार चौधरी राजेंद्र सिंह के द्वारा बुलाई गई बैठक में पहुंचे जिला पंचायत सदस्यों ने टोनी के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसमें कहा गया है कि टोनी बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य हैं तो उन्हें ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया जाना चाहिए। बैठक में अन्य कई सदस्यों ने भी विचार व्यक्त किए अब तय किया गया है कि कल नामांकन दाखिल करने के बाद ही सभी जिला पंचायत सदस्यों से बातचीत कर आगे की चुनाव रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य भी पहुंचा। जिसको लेकर खासी हलचल रही। 2 जिला पंचायत सदस्य भाजपा नेता सुभाष वर्मा के गुप्तचर के रूप में बैठक में पहुंचे थे। बैठक में क्या कुछ हुआ । इस बारे में उन्होंने बाद में सुभाष वर्मा व मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर नरेंद्र सिंह को पूरा ब्योरा दिया। बैठक की सभी जानकारी मिलने के बाद सुभाष वर्मा खेमे ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव भी किया है। वहीं दूसरी ओर सूत्रों ने बताया है कि जिन सदस्यों की सदस्यता को खतरा है। वह सरकार के नुमाइंदों के संपर्क में पहुंच गए हैं। हालांकि यह एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। वहीं 2 सदस्यों ने खुले तौर पर 20 -20 लाख रुपए की डिमांड की। एक नेता ने भी इन दोनों सदस्यों को अधिक रुपए दिए जाने की पैरवी की । उनका कहना है कि यह दोनों सदस्य पहले चुनाव में भी खाली रह गए थे। जिस पर अन्य सदस्यों ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि कौन पहले चुनाव में खाली रहा था और किसी बहुत सारे नोट मिले थे। उन्हें भी बीस बीस लाख रुपए ही चाहिए।

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