मां, मातृभाषा और मातृभूमि को सदैव आत्मा से जोड़े रखना चाहिए: एम वेंकैया नायडू

हरिद्वार । उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मां, मातृभाषा और मातृभूमि को सदैव आत्मा से जोड़े रखना चाहिए। देश के उच्च पदों पर आसीन लोगों ने अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर ऊंचाइयों को प्राप्त किया है। भारत में विविधता ही यहां की विशेषता है। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा को आगे बढ़ने के लिये हर संभव प्रयास किए जाएं। यह बात उन्होंने शनिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान (दएशांसुसं) का शुभारंभ करते हुए आयोजित सेमिनार में कही। उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि हमें भारतीय संस्कृति और परंपरा से अपने बच्चों को अवगत कराना चाहिए। बच्चों को प्रकृति के नजदीक जाने का मौका दें, जिससे प्रकृति के महत्व को करीब से जानने और सीखने का मौका बच्चों को मिल सके। उप राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में शांतिकुंज स्थापना की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित व्याख्यानमाला में भी शामिल हुए। उप राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के दिव्य प्रकाश में ही व्यक्ति समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बन पाता है। शिक्षा का भारतीयकरण नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है। देवसंस्कृति विवि की शिक्षा प्रकृति और संस्कृति का अच्छा संयोजन है। भारतीय संस्कृति के उत्थान में जुटे गायत्री परिवार एवं देवसंस्कृति विवि के कार्यों की सराहना की। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि. ) ने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय उन्हें एक मंदिर जैसा लगता है। यहां भारतीय संस्कृति पर वैज्ञानिक तरीके से शोध हो रहा है। दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान शांति प्रेम और खुशहाली के लिए कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय सच्चे अर्थों में देश और विश्व के कोने-कोने से आए विद्यार्थियों के अध्ययन, अध्यापन एवं शोध के क्षेत्र में नित्य नई ऊंचाइयां छू रहा है।

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