इकबालपुर चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति को लेकर पशोपेश में है किसान, अब महाप्रबंधक व अन्य कई अधिकारियों द्वारा इस्तीफा दिए जाने से किसान गन्ना भुगतान को लेकर और अधिक आशंकित हुआ

रुड़की । इकबालपुर चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति करने को लेकर क्षेत्र का किसान पशोपेश में है। वह समझ नहीं पा रहा है कि इन हालातों में एक बार पुर चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति की जाएगी या नहीं। क्योंकि चीनी में पिछले वर्ष का गन्ने का भुगतान नहीं दे पाया हो तो इस वर्ष के गन्ने का भुगतान समय से दे देगा । इसको लेकर किसान तमाम तरह की आशंकाओं से चिंतित है। अब चीनी मिल के महाप्रबंधक और अन्य कई अधिकारियों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के घटनाक्रम से क्षेत्र का गन्ना किसान और अधिक आशंकित हो गया है। बता दे कि चीनी मिल के महाप्रबंधक एस पी मिश्रा के साथ ही गन्ना प्रबंधक दिनेश कुमार व सहायक महाप्रबंधक डीएन त्रिपाठी ने अपना इस्तीफा भेज दिया है। इन अधिकारियों के द्वारा इस्तीफा देने की जो वजह बताई गई है। वह भी किसान को चिंता में डाल देने वाली है। अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि उनके द्वारा गन्ना भुगतान के संबंध में जो क्षेत्र के किसानों से वादा किया गया था। वह वादा वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं ।यानी कि गन्ने का भुगतान तेजी से नहीं हो रहा है और न ही आगे होने की संभावना है। जिससे कि इकबालपुर, भगवानपुर व आसपास के क्षेत्र का किसान दोराहे पर खड़ा है। उसके सामने सीमित विकल्प है। अब इतनी जल्दी ही किसी दूसरे चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती। यदि इन हालातों में इकबालपुर चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति की जाए तो भुगतान पहले की तरह अटकने की आशंका रहेगी। अब ऐसे में यदि इस सारे किसान क्षेत्र के कोल्हू में गन्ना बेच तो इससे भी बड़ा नुकसान होगा। वजह कोल्हू की पेराई क्षमता इतने अधिक नहीं है जो कि वह सभी किसानों का गन्ना खरीद सके। यदि कोल्हू में अधिक गन्ना पहुंचेगा तो निश्चित रूप से गन्ने के दाम भी गिर जाएंगे। वैसे ही फिलहाल किसान को तेजी से गन्ने की छिलाई करने की जल्दी नहीं है। क्योंकि गेहूं की बुवाई हो चुकी है और अब ईख की छिलाई करने से जो भी खेत खाली होंगे। उसमें या तो गन्ने की बुवाई होगी या फिर हरे चारे वैसे ही फसली खेती ही होगी। इसके लिए काफी समय है। रही बात जायद फसलों की बुआई की। जायद फसल क्षेत्र में काफी कम होती है। जबकि बांगर क्षेत्र में ही किसानों का अधिक ईख अभी खेत में है। गन्ना खेती के जानकारों का मानना है कि यदि इकबालपुर चीनी मिल की गन्ना आपूर्ति किसी भी तरह से बाधित होती है तो ऐसे में कोल्हू मई माह चालू रह सकते हैं। चीनी मिल चलने की दशा में कोल्हू अप्रैल में ही बंद हो जाएंगे। अब देखना यह है कि शासन स्तर पर इकबालपुर चीनी मिल के अधिकारियों द्वारा अचानक दिए गए इस्तीफे के बाद उत्पन्न स्थिति से कैसे निपटा जाएगा। क्योंकि इस बार इकबालपुर चीनी मिल चालू होने की स्थिति में नहीं था। शासन से सहयोग मिलने के बाद ही यह मिल काफी देर से चल सका है। इसीलिए किसानों का अधिकतर ईख खेत में ही है। बांगर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई का क्षेत्रफल भी कम रह गया है। वही जानकारों का कहना है कि लक्सर और उत्तम शुगर मिल की पेराई क्षमता काफी अधिक है । यदि इकबालपुर मिल तेजी से गन्ने की पेराई नहीं करता है तो यह दोनों मिल आसानी से इस पूरे क्षेत्र का गन्ने की खरीद कर सकते हैं।

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