शहीद सूबेदार अजय सिंह रौतेला का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, छाया मातम, हर कोई रोया

देहरादून । 17 गढ़वाल राइफल्स और वर्तमान में आरआर (राष्ट्रीय राइफल 48) के शहीद सूबेदार अजय सिंह रौतेला का पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह उनके पैतृक गांव रामपुर पहुंच गया। इस दौरान उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ पहुंची। परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मौके पर जो भी मौजूद रहा, उसकी आंखें ये मंजर देख भर आईं। इससे पहले शहीद का पार्थिव शरीर रविवार दोपहर 2.30 बजे सेना के हवाई जहाज से जौलीग्रांट हवाई अड्डा पहुंचा। हवाई अड्डे पर सीएम पुष्कर सिंह धामी, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी सहित जनप्रतिनिधियों और आला अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। दोपहर एक बजे पूर्णानंद घाट मुनिकीरेती ऋषिकेश में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। जम्मू कश्मीर के पुंछ में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में 14 अक्तूबर को टिहरी जिले के दो सैनिक शहीद हो गए थे। विमाण गांव के राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी का शनिवार को कोटेश्वर घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। वहीं सूबेदार अजय सिंह रौतेला (46) के शहादत की शनिवार देर शाम सेना और प्रशासन की ओर से पुष्टि की गई। सूबेदार अजय रौतेला के शहीद होने की सूचना मिलते ही उनके परिवार और गांव में कोहराम मच गया। वर्तमान में शहीद रौतेला का परिवार देहरादून में रहता है, लेकिन कुछ दिन पूर्व ही उनकी पत्नी विमला देवी, जुड़वा बेटे सुमित और अमित गांव पहुंचे थे। अजय रौतेला के तीन पुत्र हैं। बड़े बेटे अरुण रौतेला ने हाल ही में बीटेक पास किया है, जबकि सुमित और अमित इंटर में पढ़ते हैं। पत्नी विमला गृहणी हैं। शहीद के छोटे भाई शिक्षक दीपक रौतेला भी गांव में हैं। वह किसी तरह परिजनों को संभाल रहे हैं। शहीद के बेटे सुमित और अमित ने बताया कि पिता से 12 अक्तूबर को उनकी मोबाइल पर बात हुई थी। कहा कि पिता पर गर्व है, उनसे देश सेवा की सीख मिलती रहेगी। पिता की इच्छा पूरी करने के लिए वह एनडीए की तैयारी करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से आतंकी लांचपैड को नेस्तनाबूत करने की मांग की। सूबेदार अजय सिंह रौतेला की शहादत की सूचना मिलते ही रविवार सुबह से ही शहीद के घर रामपुर में जनप्रतिनिधिओं और लोगों का तांता लगना शुरू हो गया था। गांव में हर तरफ कोहराम मचा है। परिजनों को रो-रो कर बुरा हाल है। घर पहुंचकर लोग किसी तरह परिजनों को समझा रहे हैं।

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