शिक्षकों में प्रतिबद्धता की जरूरत की बेहद आवश्यकता

रूडकी। रूडकी महापौर गौरव गोयल ने कहा कि आज शिक्षा ने तकनीक को विकल्प के रूप में अपनाया है । लेकिन तकनीक कभी भी क्रिएटिविटी पैदा नहीं कर सकती है। वह केवल पारंपरिक और संस्कार युक्त शिक्षा में ही पैदा हो सकती है।
नगर निगम सभागार में ग्लोक्ल यूनिवर्सिटी , सहारनपुर के तत्वाधान मे आयोजित वैश्विक परिवेश मे शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं चुनौतियाँ विषय पर आयोजित शैक्षिक संगोष्ठी एवं शिक्षक सम्मान समारोह में उन्होंने कोरोना काल में शिक्षा के डिजिटल डिवाइड पर कहा कि इसने हमें बहुत रूप में विभाजित किया है जिसका कारण आर्थिक स्थिति में बदलाव है, यह बदलाव उत्पादन हो या फिर वितरण सभी क्षेत्रों में देखने को मिला है जिसे तकनीक पूरा नहीं कर सकती है।
मुख्यशिक्षा अधिकारी डॉ.विद्याशंकर चतुर्वेदी ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि शिक्षकों में प्रतिबद्धता की जरूरत की बेहद आवश्यकता हैं। उन्होने कहा कि कोरोना काल के कारण शिक्षा पद्धति में बहुत कुछ बदलाव आया है जिसमें परीक्षा में भी बदलाव की स्थिति आ गई है। अगर यही स्थिति लगातार बनी रही तो शिक्षा के नए परिदृश्य पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आनलाईन पद्धति के परिवेश से शिक्षकों और विद्यार्थियों में असहजता महसूस की जाती है और असमंजस्य की स्थिति है।
पूर्व उपनिदेशक एससीईआरटी डॉ0 पुष्पारानी वर्मा ने आज के दौर में बदलते शिक्षा परिदृश्य पर तीन सवाल रखे जिसमें पहला यह कि बिना कॉलेज परिवेश के विद्यार्थी कैसा महसूस करते हैं। दूसरा आज शिक्षक की स्थिति कैसी है केवल जैसा चल रहा है वैसा ही विकल्प के साथ शिक्षा देनी होगी। तीसरा आज की परीक्षा पद्धति कितनी सार्थक है।
उन्होने सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना काल के बाद हमें ऑनलाइन शिक्षा और सीखने की कला को और सशक्त बनाने की जरूरत है। शिक्षकों के लिए यह समय अधिक से अधिक विचार विमर्श का है। विद्यार्थी और शिक्षक के बीच अनुशासन व जवाबदेही को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ग्लोक्ल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो0डॉ0 सैय्यद अकील अहमद ने कहा कि कोरोना काल ने सबको हैरत में डाल दिया है जिसमें जीविका और जीवन बचाने की चुनौती देखी जा सकती है। जिसमें एक को बचाने में दूसरे को खोना पड़ा है। शिक्षा क्षेत्र भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। इस स्थिति के कारण विद्यालय सबसे दूर हो गये है चाहे वह विद्यार्थी हो या फिर शिक्षक। ऑनलाइन शिक्षा ने इस दुविधा को दूर करने में सहयोग तो दिया है पर कुछ शंका भी पैदा की है। जिसमें विद्यार्थी कुछ सीख भी रहे या नहीं यह समझना मुश्किल है। इसे मोटे तौर पर तकनीकी इंथ्यूजिएजम में बांटा जा सकता है। जिसमें बहुत सारी समस्या और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जैसे भारत में घर की परिभाषा, तकनीक के प्रयोग की भी परिभाषा अलग-अलग है। यहां पर डाटा और बिजली मिलने में भी चुनौती का सामना करना पड़ता है। शिक्षाविद श्रीगोपाल अग्रवाल ने कोरोना काल में शिक्षा के बदलते परिदृश्य पर सुझाव देते हुए कहा कि हमें शिक्षा में निवेश और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है जिसमें तकनीक खर्च के साथ-साथ उसके पहुँचाने पर भी खर्च करने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा सबको समान रूप से मिल सके। प्रतिकुलपति प्रो0 सतीश कुमार शर्मा व प्रो0 एन0 के0 गुप्ता ने कहा कि नई शिक्षा नीति के कारण शिक्षा को एक पक्षी की तरह नये पंख मिले थे परंतु कोरोना ने इन पंखों को काट दिया है। जिसने बंधनों को और मजबूत कर दिया। जो शिक्षा पद्धति चल रही थी कोरोना ने इसे और भी अधिक कठिन कर दिया है। आज भी ऑनलाइन शिक्षा मोड से बहुत लोग वंचित है। शिक्षा में तकनीक के चलन पर सवाल करते हुए उन्होने कहा कि आज के दौर में तकनीक तो आ गई पर बैलेंस मोड तकनीक का अभाव साफ देखा जा सकता है। जिसमें सशक्त पढ़ाई की कमी स्पष्ट देखी जा सकती है। अगर शिक्षा को मजूबत करना है तो हमें तकनीक को प्रबल बनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम संयोजक
डॉ0 वी0के0शर्मा ने कहा कि तकनीक से शिक्षा लेने के चलते विद्यालय के परिवेश से जो भावनात्मक लगाव होता था वह तकनीक परिवेश नहीं दे पा रहा है। ऑनलाइन शिक्षा के कारण कई सारी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है! शिक्षा के बदलते परिदृश्य में विचार रखते हुए कहा कि वर्चुअल क्लास ने शिक्षा के क्षेत्र में नई विधा को जन्म दिया है जिससे शिक्षक और विद्यार्थियों दोनों को ही लाभ मिला है। कार्यक्रम का संचालन विनय सैनी विनम्र ने किया! कार्यक्रम में रविराज सैनी, संजय वत्स, राजीव शर्मा, अनुभव, डॉ0 रणवीर सिंह, मुनीश यादव ,संदीप शर्मा, अशोक पाल, पारूल शर्मा, विनीता स्टैनले, नाजिम, इमरान, आदि मौजूद रहे इस मौके पर 109 शिक्षक शिक्षिकाओ को सम्मानित किया गया।

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