राजनीतिज्ञों के उदासीन पूर्ण रवैये के कारण रुड़की जिला नहीं बन सका, तहसील का बार-बार विभाजन राजनीतिज्ञों की नाकामी का प्रमाण, लोकतांत्रिक जनमोर्चा लगातार करता रहेगा विकास के लिए संघर्ष: सुभाष सैनी

रुड़की । लोजमो संयोजक सुभाष सैनी ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य बने दो दशक पूरे होने को हैं। सरकारें आती रही, जाती रही लेकिन रुड़की के चहुमुखी विकास को पंख तो क्या लगते रुड़की की घोर उपेक्षा होती गई। यह सिलसिला आज भी जारी है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि रुड़की में नेता नहीं है हरिद्वार से ज्यादा नेता रुड़की में हैं। रुड़की में पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व विधायक, राज्य मंत्री, पूर्व राज्य मंत्री, राजनीतिक दलों के शीर्षस्थ पदाधिकारियों चेयरमैन पूर्व चेयरमैन, जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की भरमार है लेकिन सभी अपनी-अपनी पार्टियों में अपने पदों व टिकटों को लेकर लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं मोटा मोटा धन फूंकते हैं लेकिन रुड़की की घोर उपेक्षा होते देख अपनी पार्टी हाईकमान के सामने आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करते । उन्होंने कहा कि जब तक रुड़की से जुड़े जनहित के मुद्दों को लेकर दलों से ऊपर उठकर आवाज बुलंद नहीं की जाती तब तक सरकार किसी भी दल की आ जाए रुड़की की उपेक्षा का सिलसिला चलता रहेगा। गैर राजनीतिक संगठन लोकतांत्रिक जनमोर्चा ने “हर जोर जुल्म की टक्कर पे, संघर्ष हमारा नारा है” को लेकर आवाज बुलंद की लेकिन रुड़की के हमारे नेताओं पर यह शेर सांगोपांग खरी उतर रही है कि “तूने तो चाहा ही नहीं, हालात बदल सकते थे, मेरे आंसू तेरी आंखों से निकल सकते थे तुम तो ठहरे ही रहे झील के पानी की तरहां, दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे”। सैनी ने कहा कि मोर्चा संघर्ष करके आवाज उठा सकता था वह लगातार उठा रहा है उठाता रहेगा । शुद्ध पेयजल, सीवर समस्या, जलभराव के लिए भी जो संघर्ष हम कर सकते थे किया और कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों के उदासीन पूर्ण रवैये के कारण ही आज तक रुड़की जिला नहीं बन सका है। रुड़की तहसील का बार बार विभाजन राजनीतिज्ञों की नाकामी का प्रमाण है।

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