महिलाओं को इतिहास दोहराने की जरूरत, प्राचीन काल में नारियां ऋषिकाएं के रूप में त्याग, सेवा, तप, ज्ञान, संस्कार के रूप में अग्रणी रहीं, शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोलीं राज्यपाल बेबी रानी मौर्य

हरिद्वार । उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि यह समय इतिहास दोहराने का है। जिस तरह प्राचीन काल में नारियां ऋषिकाएं के रूप में त्याग, सेवा, तप, ज्ञान, संस्कार के रूप में अग्रणी रहीं। उसी तरह आज की महिलाओं को जगाने, आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन सहयोग की जरूरत है। यह बात राज्यपाल ने बुधवार को शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती मौके पर आयोजित स्वर्ण जयंती व्याख्यानमाला में नारी सशक्तिकरण विषय पर आनलाइन संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि मेरा आदर्श प्राचीन ऋषिकाएं-अनुसूया, सती सावित्री आदि रहीं हैं। उन्होंने कहा कि नारी को इस तरह सक्षम बनाये जाना चाहिए कि वह किसी भी समस्या-परिस्थिति में झूके नहीं। वरन् उसके समाधान निकालने के लिए खड़ी हो। नारी सशक्तिकरण ऐसा होना चाहिए। खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार नारियों के सशक्तिकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। राज्यपाल ने एकल परिवार के स्थान पर संयुक्त परिवार की वकालत की। संगोष्ठी में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि इन दिनों एक तरफ जहां समाज समस्याओं से जूझता दिखाई दे रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ हिमालयवासी ऋषिसत्ता सृजन के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं। गायत्री परिवार समाज में भावनात्मक पोषण देने का जो कार्य कर रहा है उससे अनेकानेक लोगों में संवेदनाएं जाग रही है और ऐसे लोग पीड़ित एवं जरूरतमंदों की निःस्वार्थ भाव से सेवा कार्य में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि शांतिकुंज अपनी योजनाओं, कार्यक्रमों में नारियों को प्रमुखता से स्थान देता रहा है। शांतिकुंज में हवन, संस्कार आदि कराने की जिम्मेदारी भी बहिनें ही संभालती हैं। राष्ट्रीय जोनल समन्वयक डॉ. ओपी शर्मा ने सभी का आभार प्रकट किया।

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