देहरादून। कांग्रेस की पहली सूची अभी जारी नहीं हुई है। यहां तक की पार्टी के प्रमुख नेताओं की ओर से कल भेजी गई दावेदारों की सूची पर भी अभी तक कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने विचार विमर्श नहीं किया है। वहीं पार्टी नेताओं की माने तो हरक सिंह रावत एपिसोड पूरा हो जाने के बाद ही प्रत्याशियों की सूची पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि हरक सिंह रावत के पार्टी में आने से संबंधित दावेदारों की नाराजगी पार्टी को झेलनी पड़ सकती है। कुछ मजबूत दावेदार तो हरक को टिकट दिए जाने के साथ ही कांग्रेस को अलविदा कह सकते है। वही सवाल खड़ा हो रहा है कि भाजपा में अपनी पुत्रवधू को टिकट दिलाने में नाकाम रहे पूर्व कैबिनेट हरक सिंह रावत के लिए कांग्रेस क्या परिवारवाद का फॉर्मूला बदलेगी। बेशक अभी हरक सिंह कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए हैं। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत को छोड़ दें तो पार्टी के सभी प्रमुख नेता हरक के कांग्रेस में शामिल होने के संकेत दे रहे हैं। देखा जाए तो हरक सिंह रावत के प्रति हरीश रावत का रुख भी धीरे धीरे कर नरम होता जा रहा है। भाजपा हरक सिंह को पार्टी से निकाले जाने की मुख्य वजह परिवार के लिए तीन टिकट मांगे जाना बता रही है। हरक भी कई मौकों पर अपनी पुत्रवधू अनुकृति को लैंसडौन विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की पैरवी करते आ रहे हैं। खुद हरक यह खुलासा कर चुके हैं कि उन्होंने इस बारे में पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी से बात कर चुके थे। लेकिन अब हरक सिंह भाजपा में नहीं है। वह यह खुलासा कर चुके हैं कि वह कांग्रेस में अपनी अगली राजनीतिक पारी खेलेंगे। लेकिन सवाल यही है कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी वह अपने और अपनी पुत्रवधू के लिए टिकट की मांग करेंगे। कांग्रेस पहले ही यह संदेश साफ कर चुकी है कि टिकटों के आवंटन में एक परिवार एक टिकट का सिद्धांत लागू होगा। केवल पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य पर यह सिद्धांत अपवाद स्वरूप लागू नहीं होगा। कांग्रेस में शामिल होने के बाद क्या हरक सिंह रावत भी अपवाद होंगे? यदि पार्टी उनकी हसरत पूरी करेगी तो क्या वे कांग्रेसी दिग्गज चुप रह जाएंगे, जिन पर टिकट के लिए उनके परिवारवालों का जबर्दस्त दबाव है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सबसे ऊपर हैं, जिनके पुत्र व पुत्री टिकट की दौड़ में शामिल हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के भाई और पुत्र भी टिकट की कतार में बताए जा रहे हैं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं। पार्टी के अन्य कई नेता भी ऐसे हैं जो कि अपने पुत्रों के लिए टिकट मांग रहे हैं। जिससे साफ है कि हरक सिंह रावत को यदि पार्टी हाईकमान दो टिकट के लिए हां करता है तो निश्चित रूप से कांग्रेस में बड़ी विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। चुनाव के ऐन वक्त पार्टी स्थिति को संभाल नहीं पाएगी।भाजपा के रणनीतिकार हरक सिंह रावत एपिसोड पर करीबी निगाह रखे हुए हैं ।
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