रुड़की । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने अनुसंधान नवाचार एवं स्टेम शिक्षा (आईराईज़) कार्यक्रम में भारत को प्रेरित करने के तहत 10 दिवसीय शिक्षक विकास कार्यशाला का शानदार समापन किया। 21 अगस्त से 30 अगस्त, 2024 तक आयोजित इस परिवर्तनकारी कार्यशाला का आयोजन राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तराखंड एवं भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईंआईएसईआर) पुणे के सहयोग से किया गया था। इस पहल का उद्देश्य उत्तराखंड भर में कक्षा VI से X तक के शिक्षकों को सशक्त बनाना और उन्हें अपने जिलों में इनोवेशन चैंपियन बनने के लिए तैयार करना था।
राष्ट्रीय महत्व के एक प्रमुख संस्थान के रूप में आईआईटी रुड़की ने इस कार्यशाला की मेजबानी और आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ज्ञान को आगे बढ़ाने और व्यावसायिकों को कौशल प्रदान करने के लिए स्थापित आईआईटी रुड़की के सतत शिक्षा केंद्र (सीईसी) ने इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आईआरआईएसई और आईआईएसईआर पुणे के साथ मिलकर कार्य किया। कार्यशाला ने शिक्षकों को स्टेम शिक्षा, प्रक्रिया नवाचार एवं कैस्केड प्रशिक्षण मॉड्यूल की प्रमुख अवधारणाओं से परिचित कराया, साथ ही पूछताछ और गतिविधि-आधारित सीखने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।
आईआईटी रुड़की के कुलशासक शैक्षणिक मामले के प्रोफेसर नवीन कुमार ने संस्थान की भागीदारी पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “आईआईटी रुड़की में हम शैक्षणिक नवाचार एवं उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। यह कार्यशाला शिक्षकों को अगली पीढ़ी के नवप्रवर्तकों को प्रेरित करने के लिए आवश्यक उपकरण और ज्ञान प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमारा मानना है कि शिक्षकों को प्रोत्साहित करके हम एक उज्जवल और अधिक नवोन्मेषी भविष्य की नींव रख रहे हैं।”
आई.आई.एस.ई.आर. पुणे के आई.आर.आई.एस.ई. के प्रधान अन्वेषक प्रो. हरिनाथ चक्रपाणि ने आई.आई.टी. रुड़की के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा, “इस कार्यशाला को सफल बनाने में आई.आई.टी. रुड़की के साथ सहयोग महत्वपूर्ण रहा है। उनके बुनियादी ढांचे, शैक्षणिक वातावरण और अटूट समर्थन ने शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आदर्श वातावरण प्रदान किया है। हम मिलकर अपने विद्यालयों में रचनात्मकता और समस्या-समाधान की संस्कृति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।”
संस्थान की ओर से, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने इस पहल के व्यापक प्रभाव पर प्रकाश डाला: “आईआईटी रुड़की शिक्षा एवं अनुसंधान में उत्कृष्टता का प्रतीक बनने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्यशाला की मेजबानी करके, हम न केवल शिक्षकों के व्यावसायिक विकास का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि पूरे भारत में स्टेम शिक्षा को बढ़ावा देने के अपने मिशन को भी मजबूत कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य शिक्षकों को नवाचार के साथ नेतृत्व करने और अपने छात्रों को रचनात्मक और आलोचनात्मक रूप से सोचने के लिए प्रेरित करने के लिए सशक्त बनाना है।
कार्यशाला में प्रतिष्ठित अतिथियों और संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिनमें प्रो. कौशिक घोष, समन्वयक, सतत शिक्षा केंद्र, आईआईटी रुड़की, प्रो. रंजना पठानिया, जैव विज्ञान एवं जैव अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी रुड़की, डॉ. कृष्णानंद बिजलवान, सहायक निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखंड, डॉ. अवनीश उनियाल, राज्य समन्वयक, इंस्पायर मानक, श्री नितिन तिवाने, परियोजना प्रबंधक, आईआरआईएसई और समर्पित आईआरआईएसई टीम शामिल थे। यह आयोजन शिक्षा में नवाचार एवं उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी रुड़की के निरंतर प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। एससीईआरटी उत्तराखंड और आईआईएसईआर पुणे के साथ अपने निरंतर सहयोग के माध्यम से, आईआईटी रुड़की क्षेत्र में एसटीईएम शिक्षा के भविष्य को आकार देने वाली पहलों में सबसे आगे है।
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