देहरादून । 74 साल के वृद्ध ने जवान भालू के साथ बीस मिनट तक युद्ध किया। लगभग बीस मिनट चले इस जंग में आखिर वृद्ध ने भालू को भागने के लिए विवश कर दिया। लहूलुहान हो चुके उम्र के चौथे पड़ाव पर पहुंचे बुजुर्ग से हार मान कर भालू जंगल की तरफ भाग गया। यह मामला शुक्रवार सुबह दस बजे का है। मुनस्यारी के चीन सीमा से लगे क्षेत्र में मुनस्यारी से अठारह किमी दूर एक गांव है जीमिया। जीमिया गांव के बुर्जुग रुद्र सिंह रावत 74 वर्ष लकड़ी बिनने जंगल गए थे। जंगल में लकड़ी एकत्रित करते समय सामने एक भालू आ गया। भालू का देखते ही वृद्ध घबरा गए। चिल्लाने पर भी मदद की संभावना नहीं थी। घने जंगल के बीच कोई मदद के लिए नहीं था। भालू से बचने के बारे में सोचने से पूर्व ही भालू ने बुजुर्ग पर हमला कर दिया। इस दौरान भालू ने वृद्ध को घायल कर दिया। जान को पूरी तरह खतरे में देखते हुए वृद्ध ने अपना साहस बटोरा और भालू के साथ प्रतिरोध करना प्रारंभ कर दिया। लगभग 15 से 20 मिनट तक वृद्ध और भालू के बीच गुत्थमगुत्था चलती रही। अंत में भालू ने अपनी हार तय मानते वृद्ध को छोड़ कर जंगल का रास्ता अपनाया। बुरी तरह घायल जैसे तैसे गांव के निकट पहुंचे और जोर से आवाज लगाने पर ग्रामीण पहुंचे। लहूलुहान वृद्ध को ग्रामीण मुनस्यारी लाए। क्वीरी जीमिया गांव मुनस्यारी से मिलम की तरफ लगभग 18 किमी दूर है। यह गांव चीन सीमा को जोडऩे वाले मुनस्यारी -मिलम मार्ग से लगभग सात किमी दूर चिलमधार तक घायल के लिए गांव के युवाओं की पीठ एंबुलेंस बनी। गांव से चिलमधार तक का पैदल मार्ग वर्ष 2001 से लगातार आपदा के चलते इस कदर क्षतिग्रस्त है कि एक आदमी का खुद पैदल चलना मुश्किल है। गांव के युवा लक्ष्मण मर्तोलिया, लाल सिंह रावत,देवेंद्र क्वीरीयाल, गंगा सिंह रावत प्राथमिक उपचार के लिए मुनस्यारी को लाए। सूचना मिलने पर फार्मेसिस्ट विक्कू सयाना दवा व इंजेक्शन लेकर पहुंचे। दर्द से तड़प रहे रुद्र सिंह को दर्द रोकने का इंजेक्शन देता रहा। चिलमधार के बाद फार्मेसिस्ट अपने वाहन से घायल को सीएचसी मुनस्यारी लाया। घटना के चार घंटे बाद घायल वृद्ध को प्राथमिक उपचार मिल सका। चिकित्सकों के अनुसार स्ट्रीचिंग और ड्रेसिंग करने के बाद वृद्ध की हालत खतरे से बाहर है। घायल अति निर्धन परिवार से है। ग्रामीणों ने वन विभाग से घायल को तत्काल राहत राशि देने की मांग की है।
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