अध्यात्म के बिना जीवन वैसे ही है जैसे बिना पानी के नदी: स्वामी चिदानन्द सरस्वती, योग महोत्सव 2020 परमार्थ निकेेतन में वसुधैव कुटुम्बकम् के साक्षात दर्शन
ऋषिकेश । परमार्थ निकेतन में स्वर्णिम सूर्य का उदय शंख ध्वनि और वेद मंत्रों दिव्य ध्वनि के साथ हुआ। विश्व के 73 देशों से आये योग साधक माँ गंगा के जल में स्नान के साथ दिव्य विभूतियों और विख्यात पूज्य संतों के सत्संग में अपनी आत्मा का स्नान करा रहे है। आज की आध्यात्मिक सत्संग श्रृंखला में योगियों को पुर्तगाल निवासी आध्यात्मिक गुरू मूजी के दिव्य संदेशों का लाभ प्राप्त हुआ। परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, स्वामी गौर गोपालदास जी का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। पूज्य संतों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाले विश्व शान्ति हवन में चीन सहित विश्व के अनेक देशों में कोरोना वायरस से पीड़ित भाई-बहनों के स्वास्थ्य लाभ के लिये विशेष आहुतियाँ प्रदान की। परमार्थ निकेतन में जाॅर्जिया के राजदूत आर्चिल दज़ुलियाष्विली अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की भव्यता और दिव्यता से अभिभूत होकर आये। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने भारतीय परम्परानुसार शंख ध्वनि, वेदमंत्र एवं तिलक लगाकर उनका दिव्य स्वागत किया। उन्होने यहां पर योग, ध्यान, गंगा आरती और आध्यात्मिक सत्संग में सहभाग किया। पुर्तगाल निवासी आध्यात्मिक गुरू मूजी ने संदेश देते हुये कहा कि ’’सत्य से युक्त जीवन ही आध्यात्मिक जीवन है। सत्य, सत्य होता है वह कभी भी बदलता नहीं है। उन्होने कहा कि हमारा शरीर, हमारा घर है, हम उसमे बहुत सारी चीजें डालते है परन्तु हमें इसके लिये जागरूक होना होगा कि हम क्या विचार डाले। जो हम डाल रहे है वही हमारी पहचान है। उन्होने हार्ट इस्टैब्लिशमेंट के विषय में बताते हुये कहा कि आप अपने बीते हुये कल और भविष्य में मत जाइये कुछ क्षणों के लिये वर्तमान में रहने की कोशिश करे। आपके अन्दर विचारों का जो जंगल है उससे बाहर निकले। मेंटल ट्रैफिक को कम करने के लिये जागरूकता जरूरी है। उन्होने कहा कि लव हृदय को खोलता है, हार्ट को ओपन करता है। आप अपने रेड जोन से बाहर निकले और इगो के मास्क को उतारे तथा शान्ति के रास्ते पर चलने की कोशिश करे। उन्होने कहा कि ’योगा फाॅर विसडम’ यही मंत्र है। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’अध्यात्म के बिना जीवन वैसे ही है जैसे बिना पानी के नदी; बिना पैसे के बैंक। नदी तब तक ही आनन्द देती है जब तक उसमें जल हो उसी प्रकार अध्यात्म से युक्त जीवन ही आनन्ददायक होता है। जीवन में अगर अध्यात्म न हो तो जीवन में शान्ति नहीं आ सकती। स्वामी जी ने कहा कि हम अपने जीवन में जो भी अर्जित करते है उसे समाज में लगाने से, मानवता पर लुटाने से और दूसरों को देने से ही अपार शान्ति और खुशी मिलती है और जीवन का उद्देेश्य भी यही है। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज ने 73 देशों से आये योगियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनायें। आज मैं माँ गंगा के तट पर बैठकर आहृलादित और आनन्दित हूँ। यहां पर मेरे सामने अग्नि, जल, वायु, निहारिकायें, पर्वत, नक्षत्र और आप सभी की दिव्य भावनायें एक साथ एकीकृत मुझे अनुभूत हो रही है इस अवसर पर आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनायें। उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और साध्वी भगवती सरस्वती जी का प्रयास अनुकरणीय है। सभी प्रतिभागियों को मेरी शुभकामनायें। जाॅर्जिया के राजदूत आर्चिल दज़ुलियाष्विली ने कहा कि विश्व के 73 देशों से आये योगियों को मेरा नमस्कार। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूँ कि मुझे अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। परमार्थ निकेतन में मुझे दूसरी बार आने का अवसर प्राप्त हुआ। यह क्षेत्र इस प्लानेट की सुन्दरता को और अधिक निखारता है। आप सभी विभिन्न विविधतायें लिये यहां पर आये हंै परन्तु मैं यहां पर गजब का तालमेल देख रहा हूँ। आज का समय चुनौतीपूर्ण है, आप सब को मिलकर पूरे विश्व में प्रेम, शान्ति और करूणा का संचार करना है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा ’’योग, सार्वभौमिक है और भारत, योग का जन्मदाता है। योग, शरीर, आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है। जिस प्रकार यह आत्मा से परमात्मा का मिलन कराता है उसी प्रकार योग दुनिया की विभिन्न संस्कृति का मिलन कराता है; विश्व एक परिवार है कि शिक्षा देता है आज हम उसे चरितार्थ होते देख सकते है। ध्यान और योग का विशेष अभ्यास सत्र प्रातःकाल योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा द्वारा कुन्डलिनी योग, योगाचार्य आभा सरस्वती जी द्वारा प्रातःकालीन प्राणायाम, मर्ट गुलर सूफी लव मेडिटेशन, कैटी बी हैप्पी द्वारा विन्यास योग, अमेरिकी योगाचार्य एवं संगीतज्ञ आनन्द्रा जार्ज द्वारा सूर्य उदय नाद योग साधना, योगाचार्य जैनेट एटवुड द्वारा योग आॅफ द मांइड, योगाचार्य दाना फ्लिन द्वारा सोल स्वेट, डाॅ ईडेन गोल्डमैन द्वारा सार्वभौमिक मानवीय भाषा को स्पर्श, योगाचार्य सीना शर्मन द्वारा करूणा का चक्र प्राणायाम का अभ्यास कराया गया, योगाचार्य कीया मिलर द्वारा योग का चुम्बकत्व एवं चमक, जोसेफ द्वारा होम्योपैथीक आॅफ सांउड का अभ्यास कराया गया। तत्पश्चात इंडियन क्लासिकल डांस कार्यशाला का आयोजन किया गया, स्वामिनी आदित्यनन्दा सरस्वती जी ने डिवाइन कल पर उद्बोधन दिया। डाॅ ऐलेजैंड्रो जंगर ने आधुनिक विषाक्त दुनिया में डिटाॅक्सिफिकेशन के महत्व पर प्रकाश डाला गया। भारत, इंग्लैड, यूएसए, स्काॅटलैंड, कोस्टारिका, फिनलैण्ड और क्यूबा से आये कीर्तनीयों द्वार कीर्तन और भक्ति कार्यशाला का आयोजन किया गया। जर्मनी से आये गुमी द्वारा सांसों से प्रेम: बांसुरी राग प्रस्तुत किया गया। ऋषिकेश मूल के चीन से आये प्रख्यात योगाचार्य मोहन भण्डारी द्वारा ’योग फाॅर द स्पाइन’, योगाचार्य टोमी रोजेन द्वारा तनाव से मुक्ति और आशीर्वाद की खोज, लंदन से आये योगाचार्य स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट द्वारा, आधुनिक संदर्भ में बाधा का दूर कर स्वतंत्र अस्मिता पर चिंतन, योगीराज विश्वकेतु द्वारा हठयोग-राजयोग, संगीतज्ञ वाका द्वारा उत्तर भारतीय संगीत का अभ्यास कराया गया। तत्पश्चात सभी योगियों ने विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग कर चीन सहित विश्व के अन्य देशों में कोरोना वायरस से पीड़ित भाई-बहनों के स्वास्थ्य लाभ के लिये विशेष हवन और प्रार्थना की गयी।
सांयकालीन संगीत कलामंच में भारत, इंग्लैड, यूएसए, स्काॅटलैंड, कोस्टारिका, फिनलैण्ड और क्यूबा से आये कीर्तनीयों द्वार कीर्तन, अमेरिकी ’’उत्थान ग्रुप’’ और इज़रायल से आये विख्यात संगीतज्ञ द्वारा हिब्रु और हिन्दी भाषा में विशेष प्रस्तुति। विश्व विख्यात योग महापर्व की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 25 से अधिक देशों के 90 से अधिक पूज्य संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हुये हैं। अब तक 73 से अधिक देशों के 1415 से अधिक प्रतिभागी सहभाग कर चुके हैैं और लगातार दुनिया के विभिन्न देशों के योग जिज्ञासु इस महोत्सव में सहभाग हेतु पंजीयन करा रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में योग की 150 से अधिक कक्षायें होती है। यह क्रम प्रातः 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक एक सप्ताह तक प्रतिदिन चलता है। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है। विश्व के अनेक देशों से आये योगियों के लिये परमार्थ गंगा आरती सबसे प्रसन्नता देने वाला क्षण होता है जहां पर वे विश्व शान्ति हेतु हवन, कीर्तन और माँ गंगा की दिव्य आरती में मग्न रहते है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष पौधा सभी विशिष्ट अतिथियों को भेंट किया। माँ गंगा आरती के पश्चात सांयकालीन सत्र में कीर्तनियों के दिव्य संगीत से सभी मंत्रमुग्ध हो उठे। चार मार्च शाम 8: 00 बजे प्रख्यात ड्रम एवं ताल वादक शिवमणि और रूना रिज़वी, मंत्रमुग्ध करने वाला संगीत प्रस्तुत करेंगे, आप सब सादर आमंत्रित है। परमार्थ का विविध कलाओं से समृद्ध साप्ताहिक मंच इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आध्यात्मिक व्याख्यान श्रंृखला में विश्व प्रसिद्ध विभूतियाँ श्री श्री रविशंकर जी, योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज, स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, डाॅ प्रणव पण्ड्या जी, आचार्य बालकृष्ण जी, गौर गोपाल दास जी अन्य दिव्य आत्माओं का पावन सान्निध्य। विश्व विख्यात सूफी गायक, कैलास खेर अपने कैलाशा बैंड के साथ प्रेरणादायक संगीत प्रस्तुत करेंगे। प्रख्यात ड्रम एवं ताल वादक शिवमणि और रूना रिज़वी, मंत्रमुग्ध करने वाला संगीत प्रस्तुत करेंगे, ’प्रेम से परमानंद की यात्रा’ कीर्तनियों का आत्मा को छूने वाला कीर्तन, इज़रायल से विशेष रूप से आये संगीतकार गिल राॅन शामा का हिब्रु और हिन्दी भाषा के सम्मिश्रण वाला अद्भुत संगीत साथ ही अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगीतकारों और कलाकारों से सुशोभित होगा परमार्थ निकेतन कलामंच। द वल्र्ड आॅफ़ कल्चरल यूनियन: ए इवनिंग आॅफ़ कल्चरल साॅग, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों द्वारा डांस एंड थिएटर परफाॅरमेंस, सूफी डांस मर्ट गुलर की टीम के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है। योग की कक्षायें प्रातः 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक सम्पन्न हो रही, जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, अयंगार योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, कर्मयोग, गंगा योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, सांउड हीलिंग, रेकी, दर्शन, होम्योपैथी चिकित्सा तथा अनेक कार्यशालायें, नाटक प्रदर्शन, व्याख्यान, प्रवचन तथा इंटरैक्टिव सत्रों का आयोजन किया गया। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा समाधान एवं प्रश्नोतरी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में किया जा रहा है। प्राचीन भारतीय दर्शन, वेदान्त, मानव सशक्तिकरण, प्रेरक नृत्य, संगीत, तनाव नियंत्रण कार्यशाला, आहार विशेषज्ञ के साथ चर्चा जैसे अनेक सत्रों का आयोजन किया जा रहा है। 31 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में देशों के योगियों की सहभागिता – भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, पोलैंड, मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका, कोलम्बिया, नीदरलैण्ड, पेरू, अर्जेन्टीना, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इटली, नार्वे, जर्मनी, तिब्बत, भूटान, रूस, इजरायल, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, स्वीडन, हांगकाग, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, बहरीन, अफगानिस्तान, अफ्रीका, सिंगापुर, ताईबान, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, यमन, पेलस्टाईन, सिंगापुर, ताईबान, बैंकाक, नामीबिया, इक्वाडोर, कोलम्बिया, ग्वाटेमाला, आॅस्ट्रिया, क्यूबा, चिले, थाईलैण्ड, तुर्की, ब्रिटेन, दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देेशों के योग जिज्ञासु सहभाग कर चुके हैं।