रुड़की: निवर्तमान मेयर गौरव गोयल को मिला भगवान टपकेश्वर महादेव की शोभायात्रा का निमंत्रण, 17 अगस्त को निकाली जाएगी भव्य शोभायात्रा
रुड़की । श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर,देहरादून के महंत भरत गिरी जी महाराज ने बताया कि आदि-अनादि प्राचीन कालीन श्री टपेश्वर महादेव मंदिर जोकि द्रोणाचार्य जी की तपोस्थली देहरादून में तमसा (टौंस) नदी के किनारे स्थित है।यहां का इतिहास पौराणिक टपकेश्वर महादेव मंदिर आदि-अनादि कालीन तीर्थस्थल है।इस देवभूमि पर जागृति अवस्था में देवता रमण भ्रमण किया करते थे।उस दौरान देवता यहां आकर भगवान शिव जी का भी ध्यान करते और शिव जी की आराधना किया करते थे,जब-जब देवताओं पर विपत्ति आई तब अनेकों बार भगवान शिव जी ने भूमार्ग से प्रकट होकर देवताओं की रक्षा की।देवताओं को देवेश्वर रूप में दर्शन दिए तथा तभी से स्वयं भूदेवेश्वर के रूप में पूजे जाने लगे।उन्होंने बताया कि दमसा (टौंस) नदी में देवता स्नान किया करते थे और स्नान के दौरान यह नदी देवधारा के नाम से जानी जाती थी।महाभारत की दोनों सेना के कुलगुरु द्रोणाचार्य जी से पूरे हिमालय का भ्रमण करते हुए पत्नी कृपी के साथ इस गुफा में आए और भगवान शिव की तपस्या करते हुए बारह वर्ष बीत गए तभी संध्या काल के समय भूमार्ग से प्रकाश निकाला और तीनों लोकों कम्पायमान करती हुई आवाज आई कि हे द्रोण हम तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हैं,जो वरदान मांगना चाहते हो मांगो।उन्होंने बताया कि जब पुनः द्रोण ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि हे भगवान आप मुझे सौम्य रूप में दर्शन दें तब भगवान शिव भूमार्ग से प्रकट हुए और तपस्या से प्रसन्न होकर तपेश्वर के रूप में दर्शन दिए।द्रोण ने विश्व कल्याण एवं शांति हेतु धनुर्विद्या का ज्ञान मांगा।रोज मध्य रात्रि को भगवान शंकर को भूमार्ग से प्रकट हो आचार्य द्रोण को गुफा में धनुर्विद्या का अध्याय पढ़ाया।द्रोण ने संपूर्ण धनुर्विद्या एवं पशुपात्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किये।तत्पश्चात द्रोण ने इसी गुफा में कौरव-पांडवों को धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान कर प्रशिक्षित किया।उन्होंने बताया कि यहां भक्तगण टपकेश्वर शिवलिंग का जलाभिषेक कर मनोकामना अनुसार फल पाते हैं।दिगंबर श्री भरत गिरी जी महाराज ने निवर्तमान मेयर गौरव गोयल के आवास पर पधार उन्हें आगामी सत्रह अगस्त से चौबीस अगस्त तक चलने वाले श्री टपकेश्वर महादेव जी के वार्षिक भव्य शोभा यात्रा कार्यक्रम के आयोजन का निमंत्रण दिया।