आज है देवशयनी एकादशी, तीन विशेष योग में भगवान शिव शंकर आज संभालेंगे सृष्टि, भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं

आज देवशयनी एकादशी है। हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत उपवास रखा जाता है। इस देवशयनी एकादशी के साथ ही चार महीनों तक चलने वाले चातुर्मास की भी शुरुआत हो जाती है। इसमें भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं। भगवान विष्णु के योग निद्रा में चले जाने के कारण सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास के आरंभ होने पर सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य चार महीनों के लिए वर्जित हो जाते हैं। इस वजह से देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा आराधना करने का विधान होता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई 2024 को रात 08 बजकर 33 मिनट से होगी और समापन 17 जुलाई 2024 रात 09 बजकर 2 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। वहीं देवशयनी एकादशी के व्रत का पारण का समय 18 जुलाई को सुबह 5 बजकर 32 मिनट से लेकर 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।

इस वर्ष देवशयनी एकादशी पर बहुत ही शुभ औऱ दुर्लभ संयोग बना है। हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी पर अनुराधा नक्षत्र, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और शुक्ल जैसे शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी(हरिशयनी एकादशी) मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह अवधि चातुर्मास के नाम से जानी जाती है, जो देवउठनी एकादशी तक चलती है।इस दौरान शुभ कार्यों को विराम दिया जाता है।देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। इस दिन व्रत, पूजा, मंत्र जाप, भजन-कीर्तन और दान-पुण्य जैसे उपायों से भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जा सकता है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। इसलिए इस दिन को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाना चाहिए।

देवशयनी एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है,और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। व्रत रखने वाले भक्त अन्न ग्रहण नहीं करते और फलाहार या जल ग्रहण करते हैं। व्रत का पालन नियमपूर्वक और पूरी श्रद्धा से करना चाहिए। इससे व्यक्ति के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। स्नान और पवित्रता-प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद साफ जल से धोकर उन्हें वस्त्र पहनाएं।भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। बिना तुलसी पत्र के भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

इस दिन भगवान विष्णु के विशेष मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। यह मंत्र भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इसके जाप से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन का आयोजन करें। यह उनके प्रति भक्ति और समर्पण को दर्शाता है।भजन-कीर्तन में सहभागिता करने से मन को शांति मिलती है और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

देवशयनी एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करें। जरूरतमंदों की सहायता करने से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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