जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर नए सियासी समीकरण, घट रही है कुछ नेताओं के बीच की दूरियां

हरिद्वार । जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर नए सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं। अब तक जो नेता एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते थे उनके बीच की दूरियां धीरे-धीरे कम होती जा रही है। हालांकि पूरी तरह तस्वीर तो 12 दिसंबर को नामांकन के दौरान ही साफ होगी। लेकिन सुभाष वर्मा की घेराबंदी के लिए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरिद्वार चौधरी राजेंद्र सिंह कुछ नेताओं से हाथ मिलाने जा रहे हैं। किस में चर्चा है कि चौधरी राजेंद्र सिंह के समर्थकों ने खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद के समर्थित जिला पंचायत सदस्यों से आज बातचीत की भी है। उनके द्वारा बबलू राणा और चौधरी हरेंद्र सिंह से भी संपर्क साधने की कोशिश हुई है। हालांकि ताजा सियासी समीकरणों में अधिकतर जिला पंचायत सदस्य निर्दलीय हो गए हैं। उन पर फिलहाल किसी राजनीतिक दल का कोई किसी तरह का नियंत्रण नहीं दिख रहा है। समझा जा रहा है कि इसीलिए अधिकतर जिला पंचायत सदस्य अपनी मर्जी के मालिक हो रहे हैं। मात्र बहुजन समाज पार्टी में तीन-चार ऐसे सदस्य हैं जो कि प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी के निदेर्शों के इंतजार कर रहे हैं। भाजपा में भी ऐसे गिने-चुने सदस्य हैं जो कि पार्टी हाईकमान के दिशा निदेर्शों का पालन कर सकते हैं। कांग्रेस में ऐसे सदस्यों की संख्या बहुत कम हो गई है जो कि पार्टी हाईकमान के निर्देश पर समर्थन करेंगे। ज्यादातर सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदार व उनके रणनीतिकारों से सीधे बातचीत कर रहे हैं। फिलहाल क्या किया जाएगा और आगे चलकर क्षेत्र के विकास के लिए कितना बजट दिया जाएगा इस बारे में वह खुद ही फाइनल कर रहे हैं। 20 सदस्य पहले ही भूमिगत हो चुके हैं । अब एक-दो दिन में सात-आठ और सदस्य भी भूमिगत होने जा रहे हैं। अब वही सदस्य खुले में दिखाई पड़ेंगे जो कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर नामांकन वापसी के दिन फैसला लेंगे। अभी तक एक और से चौधरी सुभाष वर्मा तो दूसरी ओर से चौधरी राजेंद्र सिंह का समर्थित प्रत्याशी ही मैदान में उतरने के आसार हैं। हालांकि आज दिन में बबलू राणा के नाम की भी चर्चा रही। जिनके बारे में कहा गया है कि उन्हें चौधरी राजेन्द्र सिंह, कुंवर प्रणव सिंह और पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद का के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में देखा जाना चाहिए। हालांकि खुद बबलू राणा ने इस तरह की अटकलों पर यह कहते हुए विराम लगाने की कोशिश कि अभी उन्होंने चुनाव लड़ने के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है । पर यदि कोई उन्हें चुनाव लड़ाएगा तो वह मैदान में उतरने से भी पीछे नहीं हटेंगे। अलबत्ता जिला पंचायत अध्यक्ष का उपचुनाव होने से जिला पंचायत सदस्यों की मौज आ गई है। वह चाहते हैं कि कड़ा मुकाबला हो। जिससे कि उन्हें उनकी मर्जी के मुताबिक मिले। पर इस बीच वह जिला पंचायत सदस्य किसी न किसी खेमे में जल्द जाने की कोशिश में हैं जो कि पिछले चुनाव के दौरान खाली हाथ रह गए थे। इस बार वह पहले ही प्राप्त कर लेना चाहते हैं। आज कुछ बड़े नेताओं की भी जिला पंचायत अध्यक्ष के उपचुनाव में रुचि बड़े ही रही। उन्होंने ताजा समीकरणों पर रिपोर्ट ली और वह इस ओर चल रही राजनीतिक जोड़-तोड़ का हिस्सा भी बने।

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