मां दुर्गा के ज्वलंत स्वरूप मां कात्यायनी की विधि विधान से आराधना की जाती है, शेर पर सवार चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि देने वाली हैं

रुड़की । चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा करें। आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है, इस दिन मां दुर्गा के ज्वलंत स्वरूप मां कात्यायनी की विधि विधान से आराधना की जाती है। शेर पर सवार चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि देने वाली हैं। शत्रुओं को पराजित करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। आज आपको मां कात्यायनी के नीचे दिए गए बीज मंत्र, स्तुति, प्रार्थना मंत्रों का जाप करना चाहिए। फिर पूजा के अंत में मां कात्यायनी की आरती करनी चाहिए। आपकी आराधना से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी।

मां कात्यायनी की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कात्यायनी की प्रार्थना

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

मां कात्यायनी बीज मंत्र

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम

मंत्र

  1. ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥
  2. एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम।

पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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