कृषि अनुसंधान और शिक्षा में सहयोग के लिए आईआईटी रुड़की ने ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के साथ एमओयू किया

रुड़की । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी-आर) ने ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (ओयूएटी), भुवनेश्वर के साथ MoU किया है। इस MoU का उद्देश्य कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण तकनीक और श्रमशक्ति का उत्पादन कर ग्रामीणों की चुनौतियों का समाधान ढूंढना और उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। आईआईटी रुड़की की तरफ से निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी और ओयूएटी (OUAT) की तरफ से वाइस-चांसलर डॉ. पवन कुमार अग्रवाल के बीच MoU पर साइन किया गया है। इस अवसर पर डीपीएमई (DPME) से डॉ. एच पात्रो, रजिस्ट्रार श्रीमती एल. महापात्रा और सीएईटी (CAET) के डीन डॉ. एसके दास भी उपस्थित रहे। पांच साल के लिए साइन हुए MoU के मुताबिक, दोनों संस्थान अनुसंधान कार्यक्रमों में सहयोग करेंगे जहां आईआईटीआर (IITR) और ओयूएटी (OUAT) कृषि क्षेत्र में जीनोमिक्स, ट्रांसजेनिक्स व मेटाबोलॉमिक्स, फसल सुधार, सूचना व संचार, कृषि में सेंसर का उपयोग, आईटी आधारित सामाजिक विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों के निर्माण से संबंधित कृषि के विभिन्न क्षेत्र में संयुक्त रूप से काम करेंगे। इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है। यह देश का सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है। कम कृषि आय, जलवायु परिवर्तन और कम उत्पादकता इस क्षेत्र की बड़ी चुनौतियां हैं। भारत के सबसे पुराने कृषि अनुसंधान संस्थानों में से एक ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर काम करने को लेकर हम उत्साहित हैं। यह साझेदारी क्षमता-निर्माण की दिशा में सरकार के प्रयासों को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ ‘आत्ममनिर्भर भारत’ के लक्ष्यर को प्राप्तत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद, ओयूएटी (OUAT) के वाइस-चांसलर डॉ. पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि इस समझौते से ओयूएटी (OUAT) और आईआईटीआर (IITR) के वैज्ञानिकों की भागीदारी के साथ अंतः विषय अनुसंधान के लिए नए रास्ते तैयार होंगे। इस एमओयू के परिणाम स्वरूप किसानों की कई समस्याओं का समाधान निकाला जा सकेगा। यह कृषि और इस से संबद्ध विज्ञानों में सामाजिक रूप से संवेदनशील, पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार और आर्थिक रूप से लाभकारी शिक्षा, अनुसंधान, विस्तार और आउटरीच सेवाएं प्रदान करने की हमारी दृष्टि के अनुरूप है। इसके अलावा, इसमें दोनों संस्थानों के लिए सामान्य रुचि वाले संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं भी शामिल होंगी। एमओयू दोनों संस्थानों को उनके वैज्ञानिक और तकनीकी प्रभागों के बीच आपसी संबंध स्थापित करने, विशेषज्ञों को उचित स्थान पर पदस्थापित करने और वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान की सुविधाएं देगा। एमओयू के अनुसार, दो वर्षों में एक बार बैठक कर इस एमओयू के निष्पादन की समीक्षा और इसके विकास के लिए आवश्यक उपायों की अनुशंसा करने के लिए दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों की एक टीम गठित की जाएगी।

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