सुरक्षाबलों के तैराक और पुलिस बड़ी कुशलता से संभाल रहे हैं कुम्भ में लाखों श्रद्धालुओं को, पुरुष जवानों को दिक्कत आने पर महिला जवान संभालती हैं मोर्चा

हरिद्वार । दुनिया के सबसे बड़े महाकुंभ मेले में शाही स्नान को बहुत ही सीमित स्थान पर व्यवस्थित करना आसान नहीं है। शाही स्नान में अनेक अखाड़ों के लाखों साधू संत व श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड में बारी बारी से स्नान कराया जाता है। किसी अखाड़े के हजारों श्रद्धालुओं को नियत समय पर स्नान करा कर सकुशल वापस भेजना सुरक्षाबलों के जिम्मे है, जैसे ही किसी अखाड़े के स्नान का समय पूरा होने की घोषणा होती है, सुरक्षा बलों के तैराक और पुलिसकर्मी पानी में उतरकर श्रद्धालुओं से स्नान कर बाहर निकलने के अनुरोध में जुट जाते हैं। सुरक्षाबलों पर उन्हें बाहर निकालने व बुजुर्ग व महिलाओं को गंगा में डुबकी लगाने में मदद करने की दोहरी जिम्मेदारी होती है। जब किसी कारण पुरूष सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धालुओं को नदी से बाहर निकालने में थोड़ी समस्या आने लगती है तो महिला पुलिसकर्मी पूरे घाट पर श्रृंखला बनाकर लोगों को बाहर निकालने में मदद करती है ताकि रास्ते में इंतजार में खड़े आखाड़े तय समय पर स्नान कर सकें। यह प्रक्रिया हर अखाड़े के शाही स्नान के बाद घाट को साफ कर दूसरे अखाड़े के स्नान के लिए घंटेभर में तैयार करना पड़ता है। सुरक्षाबलों को यह सब बड़ी कुशलता से बिना किसी विवाद के निबटाना पड़ता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इसके लिए कुम्भ से पूर्व पूरी तैयारी करनी पड़ती है ताकि कुम्भ में तैनात पुलिस और विभिन्न अर्ध सैनिक बलों के बीच सन्तुलन बैठाया जा सके, यही कारण है कि गंगा के तेज बहाव व लाखों श्रद्धालुओं के स्नान करने पर अब तक किसी के डूबने व बहने की एक भी घटना नहीं हुई।सुरक्षाबलों व समाजसेवी तैराकों की तेज नजरें चौबीसों घंटे नदी पर जमी रहती है।

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