एस.एम.जे.एन काॅलेज में पारिस्थितिकी तंत्र के पुर्नस्थापना एवं चुनौतियां विषय पर वैबिनार का आयोजन, कहा कहा प्रकृति को बचाने के लिए प्रकृति से दूर नहीं बल्कि प्रकृति के समीप जाकर ही समाधान मिलेगा

हरिद्वार । विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्थानीय एस एम जे एन पी जी कालेज के द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र के पुर्नस्थापना एवं चुनौतियां विषय पर एक वैबिनार का आयोजन किया गया। मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं एस एम जे एन पी जी कालेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि दुनिया के 17 विशाल विविधतापूर्ण देशों में से भारत एक है। इस के बावजूद भी यहां पर कई पौधों और जानवरों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। गंभीर खतरे और अन्य विलुप्तप्राय पौधों तथा पशु प्रजातियों की रक्षा करने के लिए सरकार ने कई कदम, कानून और नीतिगत फैसलों को अपनाया है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने मनसा देवी मंदिर की पहाड़ियों ,कनखल, कालेज परिसर आदि स्थलों पर इस वर्ष वृहद मात्रा में मानसून के मौसम में वृक्षारोपण करने के लिए कहा जिससे कि भविष्य में पर्यावरण एवं परिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर एसएम जेएनपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ने विश्व पर्यावरण दिवस पर कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी के इस संकल्प को पूरा करने के लिए समस्त छात्र-छात्राओं साथ अग्रसर रहेंगे । डॉ बत्रा ने बताया कि पिछले कई दशकों में पर्यावरण के प्रत्येक घटक में असंतुलन उत्पन्न हुआ है। और ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, समुद्र के स्तर का बढ़ना,बादल फटने जैसी घटनाएं, चक्रवात तूफ़ानों का बहुतायत में आना यह सभी वैश्विक मुद्दे हैं इसके साथ-साथ पर्यावरण की असंतुलन से मानव जीवन का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है। पारिस्थिकीय तन्त्र की स्थापना हेतु वृहद स्तर पर वृक्षारोपण ,जैव विविधता का संरक्षण ,प्रदूषण नियंत्रण , जनसंख्या नियंत्रण आदि उपायों पर विशेष ध्यान देना होगा। डॉ बत्रा ने बताया कि पिछले वर्ष से संपूर्ण विश्व कोविड 19 महामारी से जूझ रहा है इस महामारी का सामना करने के लिए मानव जाति को मास्क, दस्ताने, पीपीई किट, आदि अन्य मेडिकल सामग्री का प्रयोग बहुतायत में किया जा रहा है।इन सामग्रियों के विशुद्ध निस्तारण की अभी कोई व्यवस्था नहीं है तथा अधिक मात्रा में इनके प्रयोग के कारण तथा इनके निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था ना होने के कारण भविष्य में इस से भी पारिस्थिकीय तंत्र में इसके दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।
वेबिनार में मुख्य वक्ता एवं प्रसिद्ध जीव विज्ञानी डॉक्टर पुष्पेन्द्र कुमार शर्मा ने प्राकृतिक असंतुलन के कारण हो रही समस्याओं पर विशद प्रकाश डाला ।उन्होंने परिस्थितिक तन्त्र की स्थापना के लिए आवश्यक छोटे से छोटे जीव के महत्व को समझाया। वैबिनार की मुख्य अतिथि एवं की नोट स्पीकर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डा
रश्मि त्यागी रावत ने अपने प्रेषित संदेश में कहा कि किसी भी प्रकार की पर्यावरण समस्या के लिए और उसके समाधान के लिए भी केवल मानव व्यवहार, एवं मानव चेतना ही जिम्मेदार हैं, यदि हम अपनी मन: स्थिति को पर्यावरण के लिए अनुकूल बना ले और अपनी दैनिक जीवन से उन गतिविधियों को हटा दें जो पर्यावरण के लिए संकट उत्पन्न करते हैं तब हम निश्चित रूप से पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। उन्होंने वृक्षारोपण के साथ साथ स्थानीय जल स्रोतों को बचाने की भी अपील की । तकनीकी खराबी के चलते डॉ रश्मि रावत इस वेबिनार में सम्मिलित नहीं हो पाई परन्तु उन्होंने अपना संदेश कॉलेज वेबीनार संयोजक डॉ विजय शर्मा के माध्यम से प्रतिभागियों के लिए उपलब्ध कराया। कॉलेज के का प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि कॉलेज के बीकॉम प्रथम सैमेस्टर के छात्र अक्षत त्रिवेदी को गौरिया संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण कार्य करने के लिए पर्यावरण मित्र का सम्मान पुरुस्कार दिया जा रहा है ।वही उन्होंने कुमारी रुपल शुक्ला ,क्रितिका आत्रेय, महिमा शर्मा ,जतिन सैनी को पर्यावरण पर सर्वश्रेष्ठ वीडियो बनाने के लिए पुरस्कृत करने की घोषणा की ।वही पर्यावरण पर सर्वश्रेष्ठ पोस्टर प्रतियोगिता में शगुन सारस्वत शर्मा ,रमन हंस, विधि गौतम,सोनाली निषाद ,प्राची राजपूत को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की। कॉलेज की संविदा शिक्षक डॉक्टर पद्मावती तनेजा के द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु किए जा रहे कार्यों के चलते उन्हें पर्यावरण मित्र क्लब का संयोजक मनोनीत किया गया है। डॉ श्रीमती सरस्वती पाठक अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान में प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता है ।उन्होंने कहा प्रकृति को बचाने के लिए प्रकृति से दूर नहीं बल्कि प्रकृति के समीप जाकर ही समाधान मिलेगा ।उन्होंने का हमारे वेदो में प्रारंभ से ही पृथ्वी को ,जल को ,वायु को, अग्नि को, प्रकाश को, देवता की संज्ञा प्रदान की गई है तथा समय-समय पर उनके पूजन का महत्व भी इसमें बताया गया है यह प्राचीन काल से पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना हेतु वेदो में बताया गया प्राचीन उपाय हैं। छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ संजय माहेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा कि जनसंख्या का विस्फोट ही पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना में सबसे बडी रुकावट है उन्होंने कहा कि हमें अपनी जनसंख्या नियंत्रण को अपनाने पर विशेष बल देना होगा।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ विजय शर्मा ने किया। डॉ शर्मा ने कहा कि सतत विकास की अवधारणा को अपनाकर हम अपने पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बना सकते हैं।वेबिनार के अन्त में प्रसिद्ध पर्यावरणविद स्वर्गीय श्री सुंदरलाल बहुगुणा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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