दिवाली वाले दिन धन की देवी महालक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, बुद्धि के देवता भगवान गणेश का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है, आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती

रुड़की । दिवाली वाले दिन धन की देवी महालक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, बुद्धि के देवता भगवान गणेश का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है। इसकी के साथ इस दिन माता सरस्वती और महाकाली की भी अराधना की जाती है। कहते हैं जो व्यक्ति पूरे विधि विधान से दिवाली पूजन करता है उसके घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इस बार दिवाली का पावन पर्व 4 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। जानिए धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन कैसे करें पूजन।

दिवाली का शुभ मुहूर्त: दिवाली का पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को 06.03 बजे से हो चुकी है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 02:44 AM पर होगी। दिवाली पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त प्रदोष काल का माना गया है। जो शाम 06:09 बजे से शुरू हो रहा है और इसकी समाप्ति रात 08:04 बजे होगी। अगर आप रात में दिवाली की पूजा करना चाहते हैं तो लक्ष्मी पूजा के लिए निशिता काल मुहूर्त रात 11:39 बजे से शुरू होगा और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 12:31 AM पर होगी।

कब करें दिवाली पर लक्ष्मी पूजन: धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जानी चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। निशिता काल में यानी रात 12 बजे के आस-पास पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस समय तांत्रिक, पंडित और साधकों द्वारा पूजा की जाती है। इस अवधि में मां काली की पूजा की परंपरा है।

दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
-दिवाली वाले दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती की पूजा का विझान है।
-दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे से सफाई कर लेनी चाहिए।
-इस दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती है।
-माता लक्ष्मी की पूजा के लिए एक चौकी लें। उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
-चौकी के पास एक जल से भरा कलश भी रख लें।
-मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
-भोग स्वरूप उनके समक्ष फल, खील-बताशे और मिठाई रखें।
-माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, मां काली, कुबेर देवता और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
-मां लक्ष्मी की स्तुति करें।
-तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।
-प्रसाद सभी में बांट दें और जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान जरूर करें।

माता लक्ष्मी की आरती:
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

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