ईंट भटटा स्वामी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया, कहा सरकार की नीतियों के कारण भट्ठा स्वामियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो रहा

रुड़की । देश भर के ईंट भट्ठा स्वामियों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। उनका आरोप है कि सरकार की नीतियों के कारण भट्ठा स्वामियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो रहा है। वह उद्योग को बंद करने को मजबूर हैं। रामनगर चौक स्थित एक होटल में आयोजित बैठक के दौरान ऑल इंडिया ईंट भट्ठा एसोसिएशन के राष्ट्रीय महामंत्री ओमवीर सिंह भाटी ने कहा कि ईंट भट्ठा उद्योग साल में छह माह चलने वाला उद्योग है। इस क्षेत्र में दो से तीन करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। लेकिन अब ईंट उद्योगों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। कहा कि भट्ठा उद्योग के जीएसटी स्लैब में बदलाव किया गया है। एक प्रतिशत वाले स्लैब को पांच-पांच फीसदी वाले स्लैब को 12 प्रतिशत कर दिया है। इसके कारण भट्ठा स्वामियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही लगातार महंगा हो रहा कोयला भी इस उद्योग के लिए परेशानी बना हुआ है।उन्होंने बताया कि एनजीटी के आदेशानुसार पूरे देश में अब जिगजैग ईंट भट्ठों को ही चलाया जाना है। जिससे प्रदूषण कम हो। इसे पूरा करने के लिए भी जिगजैग तकनीकी पर काम हो रहा है। एसोसिएशन हमेशा सरकार का सहयोग करती है, लेकिन सरकार ईंट भट्ठों पर लगातार बोझ डाल रही है। जिसके कारण ईंट भट्ठे बंद होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि अब पूरे देश के भट्ठा स्वामी अपनी मांगों को लेकर संपूर्ण भारत में अनिश्चित हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रमेश बत्रा ने कहा कि रोटी कपड़ा और मकान इंसान की जरूरत है। इसमें ईंट भट्ठा बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो रोजगार देने के साथ उनकी जरूरत पूरी करता है। साथ ही ईंट के बिना मकान का निर्माण भी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कोयले की महंगाई के कारण आज भट्ठे बंद होने की कगार पर है। रुड़की से ईंट भट्ठा एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश त्यागी ने कहा कि जीएसटी को कम किया जाए और कोयले के दाम नियंत्रण में लाया जाए। बताया कि मानसून के कारण इन दिनों भट्ठे बंद हैं। मानसून के बाद भट्ठे नहीं खोले जाएंगे।

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