सहकारिता ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच समान रूप से कार्य करने का मुख्य आधार, जिला सहकारी बैंक निदेशक सुशील राठी ने दी अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस की बधाई, कहा अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस का उद्देश्य समानता के प्रति सहकारी रूप से कार्य करने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना

रुड़की । जिला सहकारी बैंक के निदेशक सुशील राठी ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस की सभी को बधाई दी है। इस दौरान उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता का यह दिवस विश्व की सभी सहकारिताओं को अपने-अपने क्रियाकलापों का मूल्यांकन करने, एक दूसरे से संवाद स्थापित करने तथा सहकारी कार्यक्रमों के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है, विश्व भर के सहकारी आंदोलन पर जब हम नजर डालते हैं तो पाते हैं कि यह आंदोलन लोगों के आर्थिक उन्नयन, स्वावलंबन व सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ पूरे ब्रह्मांड की विभिन्न परिस्थितियों की भी चिंता करता है, कुछ ऐसी ही सोच के साथ हमारे अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन ने इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस की थीम का नाम ” कोऑपरेटिव्स फॉर क्लाइमेट एक्शन ” दिया है। ” *जलवायु परिवर्तन में सहकारिताओं की भूमिका ” नामक यह थीम बिल्कुल ही नए विषय पर है तथा सहकारी आंदोलन से जुड़े लोगों के लिए एक चैलेंज भी है, चैलेंज यह है कि अब तक किए गए कार्यों की लीक से हटकर नई दिशा, नई ऊर्जा व नई सोच के साथ कुछ नया करके दिखाएं और प्रत्येक क्षेत्र में सहकारी आंदोलन के महत्व को प्रतिष्ठित करने में अपना योगदान दें। जलवायु परिवर्तन सहकारिता से जुड़े लोगों को भी किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है, खासकर लघु व सीमांत कृषक, महिलाओं, युवाओं व स्वदेशी उत्पादों पर प्राकृतिक बदलाव का अत्यधिक असर पड़ता है, प्राकृतिक आपदाओं से संसाधनों का काफी ह्रास होता है। वर्तमान में उत्पादन एवं उपभोग के ऐसे तरीके अपनाए जा रहे हैं जो हमारे पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के अध्यक्ष एरियल गुआर्को ने कहा कि हमें यह करके दिखाना होगा कि सामाजिक समावेश और प्राकृतिक साधनों का संरक्षण करते हुए भी हम अपनी अर्थव्यवस्था विकसित कर सकते हैं, रासायनिक खेती से बचते हुए जैविक खेती की ओर बढ़ते हमारे कदम इसी का उदाहरण है। वर्तमान में दुनिया में चल रहे कोविड-19 कोरोना की महामारी में जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने में, उन्हें मदद करने में, सीधे आर्थिक सहयोग करने में सहकारी क्षेत्र ने जो भूमिका निभाई है, वह सहकारिता के महत्व को उजागर करता है।

अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस की शुरुआत वर्ष 1922 में हुई। अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संघ के तत्कालीन अध्यक्ष जीजेडीसी गोदर्थ ने प्रत्येक क्षेत्र में सहकारिता की आवश्यकता को महसूस करते हुए यह प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक देश में प्रचार प्रसार अभियान चलाकर, सहकारी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए, विश्व भर में सहकारी आंदोलन के बारे में जानकारी प्रदान कर जागरूकता फैलाई जाए, उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह निर्णय लिया कि प्रति वर्ष जुलाई माह के प्रथम शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के रुप में मनाया जाए, इस उत्सव का उद्देश्य सहकारिता के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना तथा राष्ट्र के पूरक लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन को प्रकाश में लाना है, वैश्विक स्तर पर सहकारी अर्थव्यवस्था एक अरब से अधिक सदस्यों को एकीकृत करती है और दुनिया की 10% आबादी के लिए रोजगार पैदा करती है, 300 सबसे बड़ी सहकारी संस्थाओं का कारोबार दुनिया की छठी अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। आज सबसे कठिन परिस्थितियों में भी सहकारी आंदोलन, समुदायों को बचाने, उन्हें स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक आपातकाल को दूर करने में मदद करने के लिए काम कर रहा है। जो सहकारिता के मजबूत नेटवर्क को दर्शाने के लिए काफी है।

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