आईआईटी रुड़की में अस्तित्व में आया दिव्यसम्पर्क आई-हब, आईआईटी रुड़की में साइबर-भौतिक प्रणाली आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार हब का नेतृत्व करेंगे मनीष आनंद

रुड़की । दिव्यसंपर्क आई-हब रूडकी फॉर डिवाइसेस मैटेरियल्स एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन” – जिसका उद्देश्य साइबर-भौतिक प्रणालियों [साइबर फिजिकल सिस्टम्स (सीपीएस)] प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में कार्य करना और सीपीएस डोमेन में प्रौद्योगिकी नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना है, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की में पूरी तरह कार्यात्मक है। इसका नेतृत्व सीईओ के रूप में श्री मनीष आनंद करेंगे। मनीष आनंद, आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र रहे हैं, और सामग्री और धातुकर्म इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री रखते हैं, साथ ही श्री आनंद व्यवसाय विकास, वित्तीय योजना और रणनीतिक परामर्श में 15 से अधिक वर्षों का व्यापक अनुभव रखते हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम किया है। दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीआईएसटी) से मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग में एमएस डिग्री धारक हैं और कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (केएआईएसटी), सियोल कैंपस से टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन मैनेजमेंट में एमबीए डिग्री प्राप्त, श्री आनंद स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में दो सामाजिक उपक्रमों की सह-स्थापना कर चुके हैं । [email protected] पर श्री आनंद से संपर्क किया जा सकता है । टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) की स्थापना नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एन-एम आईसीपीएस) के तहत की गई है, और लगभग 356 केंद्रीय प्रौद्योगिकियों के लिए एकीकृत समाधान के रूप में कार्यरत होना इसका उद्देश्य है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्तीय रूप से पोषित, परियोजना की लागत अगले पांच वर्षों के लिए लगभग 135 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसमें से 27.25 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। दिव्यसम्पर्क आई-हब एक सेक्शन 8 कंपनी है। यह आईआईटी रुड़की और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग [डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी)], भारत सरकार की एक संयुक्त पहल है। सरकार के सहयोग से बनाए जा रहे 25 हाई-टेक हब में से दिव्यसम्पर्क आई-हब एक है। ट्रस्टों, फाउंडेशनों और उद्योगों से सीएसआर फंड और दान प्राप्त करने के लिए यह प्रतिष्ठान पात्र होगा। टीआईएच, सीपीएस में अनुवाद अनुसंधान को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय महत्व के प्रोटोटाइप/उत्पादों को विकसित करने और मुख्य दक्षताओं और क्षमताओं को विकसित करके अगली पीढ़ी की डिजिटल प्रौद्योगिकियों की नींव के रूप में कार्य करेगा। उम्मीद है कि दिव्यसम्पर्क आई-हब अंतर-मंत्रालयी परियोजनाओं (उद्योग 4.0; स्वास्थ्य देखभाल 4.0 और स्मार्ट शहरों) से सम्बंधित सीपीएस आधारित महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान में सहयोग करेगा। टीआईएच फोकस और थ्रस्ट क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा, रक्षा अनुसंधान और विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य अनुसंधान, आवास और शहरी मामले, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार और अंतरिक्ष सम्मिलित होंगे। प्रो. सुदेब दासगुप्ता, परियोजना निदेशक और निदेशक मंडल सदस्य, दिव्यसम्पर्क, आईआईटी रुड़की, के के अनुसार, “सीपीएस असल में आधुनिक तकनीकों का समुच्चय है जो उद्योग 4.0 की चुनौतियों का सामना करने और एक अभिनव और उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करने की ओर उन्मुख है। यह पहल हमारे देश के भविष्य को आकार देने में मदद करेगी जो गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों दृष्टि से मूल्यांकन योग्य होगा।
प्रोफेसर अजित के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की और निदेशक मंडल, दिव्यसम्पर्क, आईआईटी रुड़की ने कहा, “दिव्यसम्पर्क साइबर-भौतिक प्रणालियों और संबद्ध प्रौद्योगिकियों के लिए एक समाधान प्रदाता के रूप में कार्य करेगा। यह ज्ञान के सृजन की सुविधा प्रदान करेगा, स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा और आईआईटी रुड़की के साथ-साथ देश भर में सहयोग को बढ़ावा देगा”।

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