त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में देरी से ग्रामीण राजनीति गरमाई, उत्तराखंड हाई कोर्ट में जल्द दायर हो सकती है याचिका

रुड़की। हरिद्वार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। पिछली बार यह चुनाव चार माह पहले करा लिए गए थे। लेकिन इस बार मौजूदा पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनाव होने के कम ही आसार हैं। दरअसल 31 मई तक मतदाता सर्वेक्षण सूची प्रकाशित होगी और इसके बाद इस अनंतिम सूची पर आपत्ति आएंगी। जिनके निस्तारण के बाद फाइनल सूची प्रकाशित होगी। हालांकि इस बीच आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है । लेकिन विभाग में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जो उदासीनता नजर आ रही है। उससे नहीं लगता कि फाइनल मतदाता सूची लगने से पहले आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसी कारण मौजूदा पंचायत प्रतिनिधियों और चुनाव लड़ने के इच्छुक तमाम ग्रामीण नेताओं की धडकनें बढ़ रही है । उन्हें इस बात की आशंका है कि चुनाव टल सकते हैं। क्योंकि एक चर्चा आम है कि मैं तो कोई मौजूदा विधायक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चाहता है और न ही विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक अन्य नेता समय से पंचायत चुनाव जल्द कराए जाने के पक्ष में है। कई पूर्व विधायकों का तो यहां तक सोचना है कि यदि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जल्द होते हैं तो उन्हें राजनीतिक रूप से नुकसान हो सकता है। उनका मानना है कि यदि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव विधानसभा के बाद होते हैं तो वह अपने-अपने क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उत्पन्न होने वाली गुटबंदी से बच जाएंगे । यदि वह विधायक बन गए तो उनके समर्थक जिला पंचायत का चुनाव आसानी से जीत जाएंगे। इसीलिए उनकी ज्यादा कोशिश हो रही है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कैसे भी हो विधानसभा के बाद ही कराए जाएं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर विपक्ष की छुट्टी भी कुछ ऐसे ही संकेत कर रही है कि यह चुनावा विधानसभा के बाद ही होने चाहिए। जानकारों का कहना है कि विपक्ष के जानता है कि वह चुनाव को तलवार नहीं सकता इसीलिए विपक्ष के कई नेता सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को यह समझाने में लगे हुए हैं कि पंचायत चुनाव विधानसभा से पहले कराने से उन्हें भी नुकसान पहुंचेगा। हवाला दे रहे हैं कि भाजपा का जिला पंचायत चुनाव में कभी अच्छा रिजल्ट नहीं रहा है अब नए मुख्यमंत्री आए हैं और नए ही प्रदेश अध्यक्ष। यदि इस बार भी अच्छा रिजल्ट नहीं आया तो उनकी किरकिरी होगी। जबकि वास्तविकता यह है कि इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में परिस्थितियां पूरी तरह बदली हुई है क्योंकि पहले कभी भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बना इसीलिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा का रिजल्ट भी कभी अच्छा नहीं रहा। अब सवा साल से भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष है तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा कार्यकतार्ओं में गजब का उत्साह है। भाजपा संगठन भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समीकरणों को काफी नजदीक से देख और समझ रहा है। इस स्थिति को विपक्ष भी अच्छी तरह भांप रहा है कि इस बार के चुनाव में भाजपा कुछ अच्छा करने वाली है। जानकारी मिल रही है कि पिछले चार-पांच दिन से चुनाव टलने की चचार्ओं को भाजपा जिला और मंडल संगठन ने काफी गंभीरता से लिया भी है। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने के इच्छूक भाजपा कार्यकतार्ओं ने भी इस संबंध में पार्टी हाईकमान से एप्रोच बढ़ा दी है कि चुनाव जल्द से जल्द ही कराए जाएं। भाजपा कार्यकर्ता पार्टी हाईकमान को बता रहे हैं कि चुनाव टालने की चाल विपक्ष की है ताकि सत्ताधारी पार्टी होने के नाते भाजपा की किरकिरी हो सके। क्योंकि विपक्ष जहां सत्ताधारी सूत्रों से संपर्क बढ़ाकर चुनाव टलवाने की कोशिश कर रहा है वही वह मौजूदा पंचायत प्रतिनिधियों और चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों को यह कहकर भड़का रहा है कि भाजपा चुनाव नहीं कराना चाहती। हालांकि शहरी विकास मंत्री एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद भाजपा कार्यकतार्ओं को आश्वस्त कर चुके हैं कि चुनाव अपने समय पर ही होंगे सभी प्रक्रियाएं पारदर्शिता के साथ पूरी होंगी। वही जानकारी यह भी मिल रही है कि मौजूदा पंचायत प्रतिनिधि जल्द चुनाव कराने के लिए उत्तराखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में प्रधान संगठन की बैठक भी हो चुकी है।

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