पेट में एसिड बनने के कारण होती है एसिडिटी की समस्या, जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू उपायों से मिलेगी राहत
बदलते खान-पान और जीवनशैली के कारण इन दिनों अमूमन लोगों को पेट से सम्बंधित कई समस्याएं होने लगी हैं। इनमें से एक है एसिडिटी। एसिडिटी एक आम समस्या है जिससे अक्सर लोगों को दो-चार होना पड़ता है। अगर आपको भी ये परेशानी है तो इस पर गौर कीजिए।
नाभि के ऊपरी हिस्से में ज्यादा एसिड बनने लगता है जिससे वहां जलन पैदा होने लगती है। कभी-कभी ये एसिड ऊपर की तरफ गले में आ जाता है जिससे खट्टी डकारें और जलन होने लगती है। ये मुख्य रूप से पित्त के कारण होता है। जब पेट में गर्माहट बढ़ने लगती है तो गर्म तासीर वाली चीजें, अधिक मिर्च, मसाला या खटाई खाने से पेट में पित्त उत्पन्न होता है। सीने और गले में लगातार जलन, सूखी खांसी, पेट फूलना, सांसों में बदबू, खट्टी डकार, कभी-कभी उल्टी होना, उल्टी में अम्ल या खट्टे पदार्थ का निकलना जैसी समस्याएं एसिडिटी के कारण होने लगती हैं।
1) लम्बे समय से एसिडिटी है तो..?
अगर एसिडिटी लंबे समय से है तो इससे पेट में छाले या सूजन हो सकती है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जो कि आंत को प्रभावित करती है, मालबसोर्पशन सिंड्रोम जिसमें शरीर खाद्य पदार्थों से पोषण तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है और एनीमिया जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
अगर आप गुनगुना पानी पीकर दिन की शुरूआत करते हैं तो एसिडिटी से काफ़ी आराम मिलेगा। गुनगुने पानी में थोड़ी-सी पिसी काली मिर्च और आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह पीने से भी लाभ होता है।
भोजन के बाद सौंफ खाने से भी एसिडिटी में राहत मिलती है। सौंफ पेट में ठंडक पैदा करके एसिडिटी को कम करता है। सौंफ को सीधे चबाकर या फिर इसकी चाय बनाकर पी सकते हैं। नींबू पानी में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीने से भी एसिडिटी नहीं होती। लंच के कुछ समय पहले इसे लेने से अधिक फ़ायदा होगा।
ठंडा दूध एसिडिटी के लिए रामबाण उपाय है। ठंडे दूध में मौजूद कैल्शियम एसिडिटी के दर्द को शांत कर देता है। इसलिए जब भी पेट में जलन या गैस की वजह से पेट दर्द महसूस हो तो ठंडे दूध का सेवन कर सकते हैं। मुनक्के को एक गिलास दूध में उबालकर ले सकते हैं। ये अम्लपित्त को खत्म करता है।
अदरक के टुकड़े पर काला नमक छिड़ककर चूसें।
अदरक को पानी के साथ उबालकर भी पी सकते हैं।
आंवले को काले नमक के साथ या उबालकर या फिर मुरब्बे अथवा जूस के रूप में ले सकते हैं। आंवला और एलोवेरा का मिश्रित जूस भी पी सकते हैं।
भोजन के बाद तुलसी की कुछ पत्तियां चबाएं या फिर गर्म पानी में डालकर इसका सेवन करें।
दूध की चाय के बजाय हर्बल चाय पिएं। रोज़ाना नारियल पानी पिएं।
लौंग चबाने से भी एसिडिटी कम होती है।
चोकर सहित आटे की रोटी खाएं।
अजवायन को पानी में उबालकर और ठंडा होने पर छानकर पिएं।
अजवायन को तवे पर भूनकर काले नमक के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं।
इलायची मुंह में रखकर चूसते रहें।
पिसी हुई पुदीने की पत्तियां काले नमक के साथ मिलाकर पिएं।
जीरे को पानी में उबालकर पी सकते हैं।
रात में ईसबगोल के सेवन से भी एसिडिटी में फायदा होता है।
भोजन के बाद गुड़ का एक टुकडा ले सकते हैं।
खान-पान के अलावा सही दिनचर्या का पालन करना भी ज़रूरी है। जल्दी सोएं और जल्दी उठें। देर रात तक जागने और फिर सुबह देर तक सोने से पित्त बढ़ता है जिससे एसिडिटी की समस्या बढ़ती है।
भोजन के बीच लंबा अंतराल नहीं होना चाहिए। तली-भूनी चीज़ें, बेकरी प्रोडक्ट्स, अचार से भी बचें।
खाना जल्दी-जल्दी नहीं बल्कि आराम से चबा-चबाकर खाएं। छोटे निवाले लें। खाने के बीच में पानी नहीं पिएं। खाली पेट फल न लें। बाहर का भोजन या फास्ट फूड से बचें। तनाव भी एसिडिटी का कारण बन सकता है।
खाने में चावल, बैंगन, आलू, काला चना, चने का आटा, अधिक खट्टी चीज़ें, दही, कॉफी और दूध की चाय आदि एसिडिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। भरपूर नींद लें और सुबह सैर पर जाएं।