पिता का वचन निभाने को वन को निकले राम, भीमगोड़ा में चल रही रामलीला में किया गया राम वनवास का मंचन
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हरिद्वार । भीमगोड़ा में चल रही रामलीला में शनिवार रात राम वनवास का मंचन किया गया। भगवान श्री राम पिता के वचन निभाने के लिए वन को निकले। राम वनवास का दृश्य देखकर हर कोई भाव विभोर हो गया। इससे पहले दशरथ, कैकई और मंथरा के बीच जोरदार संवाद हुआ।
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डायरेक्टर हरीश भट्ट ने बताया रामलीला की शुरुआत राजा दशरथ के दरबार से हुई। राजा दशरथ के दरबार में भगवान राम के राज्याभिषेक पर चर्चा हुई। अयोध्या वासियों और मंत्रियों की सलाह से राम को राजा बनाने का निर्णय लिया गया। राजा दशरथ राम के राज्याभिषेक की आज्ञा लेने वशिष्ठ के पास गए। वशिष्ठ की आज्ञा मिलने के बाद अयोध्यावासी खुशी मनाने में जुट गए। राम को राजा बनाने की जानकारी दासी मंथरा को मिली तो वह रानी कैकई के पास पहुंची। मंथरा ने रानी कैकई की मति भ्रष्ट करते हुए राम को वनवास और भरत को राजा बनाने की सलाह दी। कैकई को राजा दशरथ द्वारा दिए गए वरदानों की याद दिलाई। मंथरा की सलाह से कैकई कोप भवन में चली गई। राजा दशरथ ने कैकई के पास जाकर दुख का कारण पूछा। कैकई ने दुख का कारण बताने के पहले राजा दशरथ से दिए गए वरदान को पूरा करने का वचन लिया। राजा दशरथ ने वरदान को पूरा करने का वचन दिया, कैकई ने राम को 14 साल का वनवास और भरत का राजा बनाने की बात कही। दशरथ का अभिनय लखन लाल चौहान, राम का आदित्य चौहान, सीता का प्रशांत शर्मा, कौशल्या का शुभम जोशी, कैकई का कुणाल गिरी, सुमित्रा का देव चौहान ने किया।
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