जीवों के जीवन से भय, शोक का नाश करती है श्रीमद् भागवत: पं कोठारी
रुड़की । पवित्र श्राद्ध पक्ष में प्राचीन शिव मन्दिर ढण्डेरा के पवित्र प्रांगण में हो रही श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस को व्यासपीठ से पूज्य पण्डित सतीश चन्द्र शास्त्री (कोठारी ) के सानिध्य में प्रातः गणेशादि देवताओं के पूजन के साथ भगवान नारायण पूजन हुआ सांय के सत्र में 3 बजे से कथा का आरम्भ हुआ।
जिसमें व्यासपीठ से पं सतीश चंद्र कोठारी ने कहा कि हमें मनुष्य योनि बहुत दुर्लभता से प्राप्त हुई है अतः हम सबका कर्तव्य है कि मानव योनि को मोक्ष के द्वार तक ले जाने का प्रयास करें। पृथ्वी पर सभी प्राणी मरणधर्मा हैं व परीक्षित जी ने श्रीशुकदेव मुनि जी से भी यही प्रश्न किया कि मृत्यु को प्राप्त होने वाले सभी मनुष्यों को क्या करना चाहिये जिससे जीवों के जीवन से भय शोक का नाश हो व जीवन में आनन्द की वृद्धि हो। भागवत कथा ही जीवों के जीवन से भय शोक का नाश व आनन्द की वृद्धि करती है। । तृतीय दिवस की कथा में आचार्य ने ध्यान की विधि , भगवान के विराट स्वरूप , सृष्टि की उत्पत्ति, वैकुण्ठधाम का वर्णन एवं भक्ति की महिमा इत्यादि कथाओं का वर्णन किया। इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमती एव अनिल पुण्डीर , अशोक पुण्डीर, राहुल चौहान, पं कलित कोठारी, पं अजय बलूनी, पं बृजेश बडोला पं नितिन , पं विवेक, पं सुमित रतूड़ी, पं शुभम कैलखुरा , संजीव कुशवाहा, इन्द्र सिंह , ठाकुर रुप सिंह, मित्तर सिंह चौहान, सरदार सिंह रावत , रणजीत सिंह, प्रवीण कुशवाहा एवं क्षेत्र की अनेक मातृशक्तियां उपस्थित रही ।