प्रभु के दर्शन बिना मानव जीवन व्यर्थ: निरंकारी मिशन

 

देहरादून /ऋषिकेश । सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के आर्शीवाद से संत निरंकारी सत्संग भवन गंगानगर ऋषिकेश मैं जोनल स्तरीय इंग्लिश मीडियम समागम का भव्य आयोजित किया गया। जिसमें मसूरी जॉन 55 के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया । इस अवसर पर महात्माओं ने इंगलिश भाषा का सहारा लेते हुए गीत, कविता, विचार, नाटिका के रूप में निरंकारी मिशन के सिद्धान्तों तथा मानवता के उथान की चर्चा की। सतगुरु का पावन संदेश देने चंडीगढ़ से पहुंची बहन सविता सैनी ने अपने संदेश में कहा कि इस प्रभु के दर्शनों के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। कहा की अंग्रेजी भाषा एक सार्वभौमिक भाषा है। विश्वभर में अंग्रेजी भाषा को बोलने वालों की संख्या काफी अधिक है। इसी को ध्यान में रखते हुए बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने अंग्रेजी भाषा को अधिक सीखने व इसके माध्यम से मिशन के प्रचार प्रसार के लिए इंग्लिश मीडियम समागम की शुरुआत की। इस अवसर पर लोगों को आज के समय में इंग्लिश के महत्व को समझाया गया। साथ ही गुरूमत की शिक्षा, सेवा का ढंग, सोशल मीडिया का जीवन में सकारात्मक उपयोग कैसे करें आदि विषयों को नाटक के माध्यम से समझाया गया। उन्होंने कहा कि इंग्लिश भाषा आज संसार के अनेक हिस्सों में बोली जाती है। लिहाजा संतों के जीवन की चर्चा, भक्ति का मर्म क्या है, जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, पुरातन संतों भक्तों ने एक परमात्मा का ज़िक्र जो उस वक़्त की भाषा में है आज वही पैग़ाम इस समागम के जरिए दिया गया है। एक ईश्वर की पहचान करके फिर उसकी भक्ति की जानी चाहिए और ईश्वर की पहचान सत्गुरु द्वारा ही की जा सकती है इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है। कहा कि सत्गुरु की शिक्षा को आज के युवाओं तक उनकी अपनी भाषा में दिया जाना एक नई पहल है। भक्ति किसी भाषा विशेष के दायरे में नहीं है वो तो भाषाओं की सभी दीवारों के पार जाकर प्रत्येक मानव के जीवन को लाभान्वित करती है।
जोन के ज़ोनल इंचार्ज हरभजन सिंह ने इंग्लिश भाषा की अनिवार्यता के लिए कहा कि विश्व में सभी स्थानों पर इस भाषा का उपयोग आज के समय में हो रहा है। सत्गुरु माता जी ने इस भाषा में भी सत्य का संदेश देने के लिए इस प्रकार के आयोजन पर ज़ोर दिया। इस दौरान सेवादल के भाई एवं बहनों ने व्यवस्था संबंधित सेवाएं बहुत सुंदर ढंग से निभाई। समागम में मसूरी जॉन 55 की ब्रांच रायवाला, भोगपुर, बालवाला, देहरादून हरिद्वार, रुड़की, कोटद्वार, टिहरी, उत्तरकाशी, नरेंदनगर, पौड़ी, हल्दुखाता, सेहसपुर, तीमली, मीनाथ, नाई, यमकेश्वर, प्रेमनगर आदि स्थानों से लगभग 1400 युवाओं ने भागीदारी की।

 

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