सुनी सुनाई बातों पर मेयर को पद मुक्त कराना चाहते हैं विरोधी, तथ्यों पर नहीं पॉलीटिकल प्रेशर से कार्रवाई कराने की हो रही कोशिश

रुड़की । विरोधी पक्ष मेयर गौरव गोयल को सुनी सुनाई बातों पर पद मुक्त कराना चाहता है। यानी कि तथ्यों के बजाय पॉलीटिकल प्रेशर से कार्रवाई कराने की कोशिश हो रही है।यहां तक की हाईकोर्ट के आदेश को भी विरोधी पक्ष अपने ढंग से परिभाषित कर रहा है। ताकि मेयर पर मानसिक दबाव बनाया जा सके और शहर में राजनीतिक माहौल उनके खिलाफ तैयार हो सके। यह सभी को मालूम है कि मेयर गौरव को कार्यभार संभालने के दिन से ही विरोधियों की साजिशों का सामना करना पड़ रहा है। यह बात अलग है कि मेयर गौरव गोयल आज तक एक बार भी विरोधियों की तथ्यहीन शिकायतों के कारण डिफीट नहीं हुए। हां इतना जरूर है कि बीच-बीच में उन्हें परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ा। यही विरोधी चाहते भी है कि मेयर गौरव गोयल स्वतंत्र रूप से नगर निगम क्षेत्र का न तो विकास करा सकें और न ही नगर निगम में कुछ और अच्छे के लिए सोच सके। जनता इस बात को अच्छी तरह समझ भी रही है।अब बीटी गंज के भूखंड लीज नवीनीकरण के मामले पर ही गौर कर कीजिए। इस भूखंड के लिए लिज 40 वर्ष पहले समाप्त हो चुकी है और अब जो लीज का नवीनीकरण कराने की कोशिश हो रही है वह नियम विरुद्ध है।

साफ तौर पर यह कोशिश निगम की संपत्ति यानी कि शहर वासियों की बेशकीमती संपत्ति को खुर्दबुर्द करने जैसी है। हालांकि यह मामला इसलिए मोड ले गया क्योंकि इसमें लेनदेन जैसी बातों की ऑडियो वायरल हुई । अब यह अलग है कि ऑडियो सही है या फिर बातों ही बातों में किसी को फंसा लेने की साजिश का हिस्सा है। जबकि इस ऑडियो की मूल डिवाइस उपलब्ध नहीं है , इसकी जांच अभी जारी है और जो जांच समिति बनी थी। उसने भी अपनी रिपोर्ट में यही कहा है की विवेचना अभी जारी है। इस बारे में कुछ कहना उचित नहीं है। इसके बाद मेयर गौरव गोयल को एक महिला की शिकायत पर विरोधियों ने घेरा मुकदमा दर्ज हुआ ,हंगामे जैसी स्थिति बनाई गई। अंतिम रिपोर्ट लगी कुछ समय बाद अंतिम रिपोर्ट खारिज कर पुनःविवेचना के आदेश दिए गए , फिर से अंतिम रिपोर्ट लगी और वह कोर्ट द्वारा स्वीकार कर ली गई वे मुकदमा खारिज कर दिया गया । यहां पर डिफीट हो जाने के बाद विरोधी खेमे ने पार्षदों व कुछ ठेकेदारों के द्वारा शिकायत भिजवाई गई। पार्षदों ने कहा है कि बोर्ड की कम बैठकर हुई है । पर यह सबको मालूम है कि 2 वर्ष तक कोरोना महामारी के कारण एक नहीं अधिकतर निकाय क्षेत्र में बोर्ड की कम बैठक हुई है। इसके बाद कहा कि कुछ ठेकेदारों का भुगतान रोका गया है। लिखित में भुगतान रोकने का अधिकार मेयर को है ही नहीं तो यह शिकायत प्रारंभिक तौर पर ही गलत होती नजर आई । दूसरे यदि मेयर की ओर से यह कह दिया गया कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता अच्छी हो तभी भुगतान होना चाहिए और तकनीकी जांच कराई जाए इसके बाद भुगतान किए जाए तो इसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए । क्योंकि शहर के मुखिया होने के कारण घटिया निर्माण पर मेयर गौरव गोयल की चुप्पी एकदम गलत साबित होती , उन पर तमाम सवाल खड़े होते। नगर आयुक्त के साथ अभद्रता होने की बात भी बेतुकी मानी जा रही है क्योंकि न तो इस संबंध में कोई मीडिया रिपोर्ट सामने आई है और न ही नगर आयुक्त ने उस समय अपने उच्च अधिकारियों को इस संबंध में शिकायत की है और न ही उनके द्वारा कोई पुलिस को तहरीर दी गई है । यह भी सुनी सुनाई बात मानी जा रही है।यह बात स्पष्ट है कि कि नगर आयुक्त रहते हुए नूपुर वर्मा पर विरोधी खेमे के साथ पॉलीटिकल इंवॉल्वमेंट के आरोप लगते रहे हैं। जिस कारण मेयर के अच्छे कार्यों को रोकने की हरसंभव कोशिश की गई। सहायक नगर आयुक्त पद पर रहते हुए चंद्रकांत भट्ट भी पूरी राजनीति मे शामिल रहे। हाई कोर्ट में एक के बाद एक कर दायर की गई याचिका के बारे में आप जान लीजिए कि पहले एक याचिका दायर हुई थी जो निरस्त कर उस याचिकाकर्ता पर 50000 का जुर्माना लगाया गया था । इसके बाद याचिका दायर हुई और उसमें याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि जो शिकायत की गई है उस पर कार्रवाई नहीं हुई है तो शासन को हाईकोर्ट की ओर से यही लिखा गया है कि नियमानुसार कार्रवाई कीजिए अब शासन सुनी सुनाई बातों पर तो इतना जल्द कार्रवाई करने वाला नहीं है। क्योंकि जो लोग यह मान रहे हैं कि मेयर को बर्खास्त कर दिया जाएगा। सुनी सुनाई बातों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई कतई संभव नहीं है। इसके लिए ऐसी प्रमाणिक तथ्य चाहिए जो कि कार्रवाई को बर्खास्तगी तक पहुंचा सके। हां यदि मेयर द्वारा कोई नगर निगम का भूखंड अपने अपने परिजन के नाम खरीद लिया गया होता या किसी भूखंड को खुर्द खुर्द करने जैसी बात होती या फिर वह अपने लिखित आदेश से किसी को नाजायज भुगतान नगर निगम से करा देते। तो कार्रवाई संभव थी। पिछले वर्ष इन्हीं लोगों की शिकायत पर महापौर की कराई गई जांच के क्रम में दिनांक 4 जनवरी 2022 के आदेश में सचिव शहरी विकास विनोद सुमन द्वारा जांच के उपरांत एक आदेश जारी किया गया कि महापौर पर किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनियमितता का मामला प्रकाश में नहीं आया है लेकिन अब तो स्थिति यहीं साफ तौर पर नजर आ रही है कि विरोधी लोग पॉलीटिकल प्रेशर से ऐसा कुछ चाहते हैं ताकि मेयर गौरव गोयल मानसिक रूप से डिस्टर्ब रहें और वह जनता के बीच न जा सके। अन्यथा जो नगर निगम के कर्मचारियों की यूनियन है उन्होंने भी मेयर के पक्ष में लिखकर दे रखा है और संख्या बल के लिहाज से पार्षदों के लिखित पत्र भी मेयर के समर्थन में ही काफी ज्यादा है।

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