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1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद उमराव सिंह व उनके पिता शहीद फतेह सिंह का विशेष योगदान, छुड़ाए अंग्रेजों के छक्के, आज बलिदान दिवस पर शहीदों को सभी कर रहे नमन्

भगवानपुर । मानकपुर आमदपुर गांव का 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान रहा। आजादी का बिगुल फुंकने पर अंग्रेजों ने मानकपुर आमदपुर निवासी राजा उमराव सिंह और फतेह सिंह को सहारनपुर में फांसी पर लटका दिया था, लेकिन लोगों ने आजादी की राह से कदम पीछे नहीं खींचे।
मानकपुर आमदपुर के एडवोकेट अनुभव चौधरी ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत ने वर्ष 1857 में भारतीयों पर अत्याचार बढ़ाए तो मानकपुर गांव के राजा उमराव सिंह और फतेह सिंह ने इसके खिलाफ संग्राम छेड़ दिया। इससे अंग्रेजी अधिकारी तिलमिला उठे। उन्होंने गुर्जरों के गांवों में आगजनी और लूटपाट करनी शुरू कर दी। इसका जवाब राजा उमराव सिंह ने उन्हीं की तरह दिया। 18 मई 1857 को राबर्टसन ने मेयर विलिम्स के साथ क्रांतिकारी गुर्जरों को सबक सिखाने के लिए देवबंद की ओर से बढ़ने लगे। गुर्जर गांव बाबूपुर, फतेहपुर, सांपला पर हमला कर दिया गया।
इसमें सात क्रांतिकारी शहीद हुए और 16 घायल हो गए थे। जिला मजिस्ट्रेट स्पेंकी के आर्डर से राबर्टसन मंगलौर पहुंचा। यहां उसने सैनिक राबर्टसन, प्लीडन, एडवर्स व कैप्टन जार्सटीन के साथ मानकपुर पर हमला करने की योजना बनाई, लेकिन इनकी योजना कामयाब नहीं हो पाई।
इसके बाद उन्होंने मुंडालाना के जमीदार एवं उमराव सिंह के रिश्तेदार के जरिये उन्हें बात करने के लिए सहारनपुर बुलाया। परंतु अंग्रेजों ने धोखा देकर उमराव सिंह व फतेह सिंह को गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया।
इसके बाद आजादी की लड़ाई और भड़क गई। देवबंद के पास कम्हेड़ा गांव में राबर्टसन ने आग लगाव दी।
क्रांतिकारियों को डराने के लिए कैप्टन रीड और वायस सर्जन ने झबरेड़ा व मानकी गांव में आग लगाकर लोगों को आतंकित किया।
इन दोनों अधिकारियों ने देवबंद क्षेत्र के 45 क्रांतिकारियों को सरेआम फांसी दी, लेकिन आजादी के मतवाले हिम्मत नहीं हारे और शहीदों का बदला लेने के लिए मेरठ की क्रांति से जुड़ गए। मानकपुर में हर वर्ष बलिदान दिवस पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं।

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