हरिद्वार में राज्यपाल ने ‘अखण्ड दीपक शताब्दी समारोह’ में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया, बोले-करोड़ों लोगों के शांतिकुंज का पवित्र परिसर एक आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र

हरिद्वार । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने मंगलवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में ‘‘अखण्ड दीपक शताब्दी समारोहः सक्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन’’ में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने पंडित राम शर्मा द्वारा रचित साहित्यों को वियतनामी भाषा में अनुवादित किताबों का विमोचन सहित व अन्य प्रकाशनों का विमोचन किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज के समय में करोड़ों लोगों के लिए यह शांतिकुंज का पवित्र परिसर एक आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र है। राज्यपाल ने कहा कि आज ‘अखण्ड दीपक शताब्दी समारोह’ की शुरूआत हो गई है जो वर्ष 2026 में पूर्ण होगा। इन तीन वर्षों में समारोह का वातावरण रहेगा, सभी परिवार जन अनेक कार्यक्रमों के सहभागी बनेंगे और यह ‘अखण्ड दीपक शताब्दी समारोह’ करोड़ों लोगों को प्रेरणा देने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के संकल्प कभी भी व्यर्थ नहीं होते, ‘युगनिर्माण योजना’ और ‘युग परिवर्तन का संकल्प’ इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। महापुरुषों के एक संकल्प से सब कुछ संभव हो सकता है। आज हम विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्वगुरु भारत के बड़े संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ये तीनों लक्ष्य एक ही संकल्प की तीन पंखुड़ियां हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि ‘अखण्ड दीपक शताब्दी समारोह’ गुरुदेव की साधना और संकल्पों के अनुरूप युग परिवर्तन और युग निर्माण योजना का साक्षी बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत के संकल्पों के बल पर आज एक नये युग में पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है और भारत में आध्यात्म की दिव्य चेतना को खोज रही है। राज्यपाल ने कहा कि भारत की ज्ञान-विज्ञान परंपरा और योग, आयुर्वेद, संस्कृति एवं जीवन मूल्यों की शिक्षा का प्रसार शांतिकुंज के कार्यकर्ता विश्वभर में कर रहे हैं। शांति कुंज आध्यात्मिक सेनिटोरियम के रूप में लोगों के स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज की परिकल्पना को साकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि आप सभी को विचार क्रांति अभियान के माध्यम से पूरे विश्व में भारतीय चिन्तन धारा के प्रसार से नैतिक क्रांति, बौद्धिक क्रांति और सामाजिक क्रांति लानी है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बतौर विशिष्ट अतिथि प्रतिभाग करते हुए अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय मानवता के कल्याण के लिये कार्य कर रहा है। जहां पर भी स्वार्थ जुड़ता है, तो वहां पर कल्याण नहीं रह जाता है। इसलिये कल्याण की पहली शर्त है कि हमें स्वार्थ से दूर रहना होगा। उन्होंने कहा कि यह स्थान मन्दिर समान है। आज करोड़ों लोग यहां से ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, जो वट वृक्ष के रूप में हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1926 से जो अखण्ड ज्योति यहां प्रज्ज्वलित हो रही है, वह साधारण ज्योति नहीं है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि जिस किसी व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य जागता है, तो उन्हें ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है। जैसे नरेन्द्र के जीवन में स्वामी रामकृष्ण परमहंस के आने के बाद वे स्वामी विवेकानंद बने। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार के लाखों करोड़ों कार्यकर्त्ता समाजहित में कार्य कर रहे हैं। गायत्री परिवार समाज में आस्था संकट के अंधकार से ग्रस्त लोगों को जगाने का जुटा है। इस दौरान कुलपति आचार्य ओम प्रकाश शर्मा सहित शांतिकुंज गायत्री तीर्थ के अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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