देहरादून । प्रदेश में जिला सहकारी बैंकों में गतिमान चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद शासन की ओर से रोक लगा दी गई है। खास बात यह है कि जिन जिलों ने रिजल्ट जारी कर दिया है, उनसे भी कहा गया है कि फिलहाल किसी को भी कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जाए। सहकारिता विभाग की ओर से प्रदेशभर के जिला सहकारी बैंकों (डीसीबी) में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के चार सौ पदों पर भर्ती की जानी थी। इसमें भर्ती में अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद हरिद्वार डीसीबी में पहले ही रोक लगाई जा चुकी थी, जबकि नौ डीसीबी में से तीन जिलों देहरादून, ऊधमसिंह नगर और पिथौरागढ़ ने रिजल्ट भी जारी कर दिया था, लेकिन अब इन जिलों में चुने गए कार्मियों के योगदान ग्रहण करने पर भी रोक लगा दी गई है। निबंधक सहकारी समितियां आईएएस आलोक कुमार पांडेय की ओर से इस आशय के आदेश जारी किए गए। जिसमें कहा गया है कि जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर की जा रही भर्ती प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा रही है। अगले आदेशों तक किसी भी कार्मिक को कार्यभार ग्रहण न कराया जाए। इस संबंध में बात करने पर आईएएस आलोक कुमार पाडेय ने बताया कि कुछ जिलों से नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। जिनका संज्ञान लेते हुए फिलहाल भर्ती पर रोक लगा दी गई है।
सहकारिता विभाग की ओर से प्रदेशभर के जिला सहकारी बैंकों (डीसीबी) में कराई जा रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के चार सौ पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू से ही विवादों में रही है। पिछली सरकार में मंत्री से लेकर विधायक तक भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठा चुके हैं। कई अभ्यर्थियों की ओर से मुख्यमंत्री पोटर्ल और दूसरे माध्यमों से भाई-भतीजावाद के साथ पैसों के लेन-देन तक के आरोप लगाए गए हैं। पूरी भर्ती प्रक्रिया जिला सहकारिता बैंक के चेयरमैन, महाप्रबंधक और जिला सहायक निबंधक की देखरेख में पूरी की जा रही थी।
नौ डीसीबी में से तीन जिलों देहरादून, ऊधमसिंह नगर और पिथौरागढ़ ने रिजल्ट जारी कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, इनमें देहरादून जिले में एक मामला ऐसा भी आया जहां डीसीबी देहरादून में संविदा पर तैनात एक कर्मी की पत्नी और साली दोनों का चयन किया गया है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं।
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